परावर्तन: Difference between revisions

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[[चित्र:Reflection.jpg|thumb|250px|प्रकाश किरण का परावर्तन]]
'''परावर्तन''' ([[अंग्रेज़ी]]:''Reflection'') अर्थात "जब कोई [[प्रकाश]] की किरण एक माध्‍यम से चलकर दूसरे माध्‍यम की सतह से टकराकर वापस उसी माध्‍यम में लौट आये तो इस घटना अथवा क्रिया को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं।"
'''परावर्तन''' ([[अंग्रेज़ी]]:''Reflection'') अर्थात "जब कोई [[प्रकाश]] की किरण एक माध्‍यम से चलकर दूसरे माध्‍यम की सतह से टकराकर वापस उसी माध्‍यम में लौट आये तो इस घटना अथवा क्रिया को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं।"


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इसका अर्थ यह निकलता है कि जितने कोण पर कोई [[प्रकाश]] की किरण किसी दर्पण पर गिरेगी, वह उतने ही कोण से गिरने के पश्‍चात वापस चली जायेगी।
इसका अर्थ यह निकलता है कि जितने कोण पर कोई [[प्रकाश]] की किरण किसी दर्पण पर गिरेगी, वह उतने ही कोण से गिरने के पश्‍चात वापस चली जायेगी।
::3.परावर्तन की क्रिया में प्रकाश की [[आवृत्ति]] एवं [[चाल]] परिवर्तित नहीं होती अर्थात प्रकाश की [[ऊर्जा]] कम नहीं होती है।
::3.परावर्तन की क्रिया में प्रकाश की [[आवृति]] एवं [[चाल]] परिवर्तित नहीं होती अर्थात प्रकाश की [[ऊर्जा]] कम नहीं होती है।
::4.नियम 2 से कहा जा सकता है कि यदि आपतन कोण शून्‍य हो तो परावर्तन कोण भी शून्‍य होगा। इस स्‍थिति में [[प्रकाश]] की किरण जिस मार्ग से आती है, उसी मार्ग से वापस चली जाती है या इसे इस प्रकार भी कह सकते हैं कि अभिलम्‍बवत आपतन की स्‍थिति में प्रकाश किरण अपने आगमन मार्ग से परावर्तित हो जाती है।<ref>{{cite web |url=http://pramodkumarvaranasi.blogspot.in/2014/01/blog-post_16.html |title= प्रकाश का परावर्तन व नियम|accessmonthday= 31 जुलाई|accessyear= 2016|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=pramodkumarvaranasi.blogspot |language=हिन्दी }}</ref>
::4.नियम 2 से कहा जा सकता है कि यदि आपतन कोण शून्‍य हो तो परावर्तन कोण भी शून्‍य होगा। इस स्‍थिति में [[प्रकाश]] की किरण जिस मार्ग से आती है, उसी मार्ग से वापस चली जाती है या इसे इस प्रकार भी कह सकते हैं कि अभिलम्‍बवत आपतन की स्‍थिति में प्रकाश किरण अपने आगमन मार्ग से परावर्तित हो जाती है।<ref>{{cite web |url=http://pramodkumarvaranasi.blogspot.in/2014/01/blog-post_16.html |title= प्रकाश का परावर्तन व नियम|accessmonthday= 31 जुलाई|accessyear= 2016|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=pramodkumarvaranasi.blogspot |language=हिन्दी }}</ref>



Revision as of 10:11, 31 July 2016

thumb|250px|प्रकाश किरण का परावर्तन परावर्तन (अंग्रेज़ी:Reflection) अर्थात "जब कोई प्रकाश की किरण एक माध्‍यम से चलकर दूसरे माध्‍यम की सतह से टकराकर वापस उसी माध्‍यम में लौट आये तो इस घटना अथवा क्रिया को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं।"

परावर्तन के नियम

प्रकाश के परावर्तन के निम्न नियम हैं-

1.आने वाली किरण (आपाती किरण), परावर्तित किरण (जाने वाली किरण) एवं अभिलम्‍ब तीनों एक ही तल में होते हैं।
2.आपतन कोण (i), परावर्तन कोण (r) के बराबर होता है। अतः i = r


इसका अर्थ यह निकलता है कि जितने कोण पर कोई प्रकाश की किरण किसी दर्पण पर गिरेगी, वह उतने ही कोण से गिरने के पश्‍चात वापस चली जायेगी।

3.परावर्तन की क्रिया में प्रकाश की आवृति एवं चाल परिवर्तित नहीं होती अर्थात प्रकाश की ऊर्जा कम नहीं होती है।
4.नियम 2 से कहा जा सकता है कि यदि आपतन कोण शून्‍य हो तो परावर्तन कोण भी शून्‍य होगा। इस स्‍थिति में प्रकाश की किरण जिस मार्ग से आती है, उसी मार्ग से वापस चली जाती है या इसे इस प्रकार भी कह सकते हैं कि अभिलम्‍बवत आपतन की स्‍थिति में प्रकाश किरण अपने आगमन मार्ग से परावर्तित हो जाती है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. प्रकाश का परावर्तन व नियम (हिन्दी) pramodkumarvaranasi.blogspot। अभिगमन तिथि: 31 जुलाई, 2016।

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