दोहनी कुण्ड काम्यवन: Difference between revisions

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Revision as of 10:09, 2 August 2016

दोहनी कुण्ड काम्यवन
विवरण दोहनी कुण्ड बरसाना, मथुरा के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है।
राज्य उत्तर प्रदेश
ज़िला मथुरा
मार्ग स्थिति बरसाना, से लगभग 50 कि.मी. की दूरी पर है।
प्रसिद्धि धार्मिक स्थल
कब जाएँ कभी भी
यातायात बस, कार, ऑटो आदि
संबंधित लेख राधा, कृष्ण, बरसाना, राधाकुण्ड गोवर्धन, ललिता कुण्ड काम्यवन


अन्य जानकारी इस में प्राकट्य लीला के समय गोदोहन सम्पन्न होता था। यह महाराज वृषभानु की लाखों गायों के रहने का स्थान था।

दोहनी कुण्ड बरसाना, मथुरा से लगभग 50 कि.मी. की दूरी पर है। यह स्थान बरसाना के पास है। गहवर वन की पश्चिम दिशा के समीप ही चिकसौली ग्राम के दक्षिण में यह स्थित है। यहाँ प्राकट्य लीला के समय गोदोहन सम्पन्न होता था। यह स्थान महाराज वृषभानु की लाखों गायों के रहने का खिड़क[1] था।

कथा

एक समय गोदोहन के समय किशोरी श्री राधिका खड़ी–खड़ी गोदोहन का कार्य देख रही थीं। देखते ही देखते उनकी भी गोदोहन की इच्छा हुई। वे भी एक मटकी लेकर एक गाय का दूध दुहने लगीं। उसी समय कौतुकी कृष्ण भी वहाँ आ पहुँचे और बोले- "सखि! 'तोपे दूध काढ़वो भी नहीं आवे है। ला मैं बताऊँ।" यह कहकर पास ही में बैठ गये। राधिका जी ने उनसे कहा- "अरे मोहन! मोए सिखा।" यह कहकर सामने बैठ गईं। कृष्ण ने कहा- "अच्छौ दो थन आप दुहो और दो मैं दुहों, आप मेरी ओर निगाह राखो।" कृष्ण ठिठोली करते हुए दूध की धार निकालने लगे। उन्होंने हठात एक धार राधा जी के मुख मण्डल में ऐसी मारी कि राधा जी का मुखमण्डल दूध से भर गया। फिर तो आप भी हँसने लगे और सखियाँ भी हँसने लगीं-

आमें सामें बैठ दोऊ दोहत करत ठठोर।
दूध धार मुख पर पड़त दृग भये चन्द्र चकोर।।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. स्थान

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