जंजीरा क़िला: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 57: Line 57:
चित्र:Janjeera-fort-3.jpg|जंजीरा क़िला, [[रायगढ़ महाराष्ट्र|रायगढ़]]
चित्र:Janjeera-fort-3.jpg|जंजीरा क़िला, [[रायगढ़ महाराष्ट्र|रायगढ़]]
चित्र:Janjira-Fort-8.jpg|जंजीरा क़िला, [[महाराष्ट्र]]
चित्र:Janjira-Fort-8.jpg|जंजीरा क़िला, [[महाराष्ट्र]]
चित्र:Janjira-Fort-9.jpg|जंजीरा क़िला, [[महाराष्ट्र]]
चित्र:Janjeera-fort-5.jpg|जंजीरा क़िला
चित्र:Janjeera-fort-5.jpg|जंजीरा क़िला
</gallery>
</gallery>

Revision as of 09:37, 24 October 2016

जंजीरा क़िला
विवरण 'जंजीरा क़िला' महाराष्ट्र के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है, जो कोंकण में रायगढ़ के निकट स्थित है।
राज्य महाराष्ट्र
ज़िला कोंकण
निर्माता निजामशाह
निर्माण काल 1490 ई,
प्रसिद्धि ऐतिहासिक स्थल
चित्र:Map-icon.gif गूगल मानचित्र जंजीरा क़िला
संबंधित लेख महाराष्ट्र, कोंकण, महाराष्ट्र पर्यटन, अरबी, अहमदनगर, हब्शी, शिवाजी, मक्का


अन्य जानकारी जंजीरा अरबी शब्द 'जजीरा' का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ है- टापू। 1490 ई, में अहमदनगर के निजामशाह ने जंजीरा में अपने लिए नौ सेना की स्थापना की थी और उसे नाविक कला में निपुण एक वीर हब्शी 'सिद्दी याकूत ख़ाँ' को सौंप दिया था।

जंजीरा क़िला महाराष्ट्र के कोंकण में रायगढ़ के निकट स्थित है।

इतिहास

जंजीरा अरबी शब्द 'जजीरा' का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ है- टापू। 1490 ई, में अहमदनगर के निजामशाह ने जंजीरा में अपने लिए नौ सेना की स्थापना की थी और उसे नाविक कला में निपुण एक वीर हब्शी 'सिद्दी याकूत ख़ाँ' को सौंप दिया था। उसके दो कार्य थे - प्रथम तटीय व्यापार की रक्षा करना और द्वितीय, मुस्लिम हज यात्रियों को सुरक्षित मक्का ले जाना और लाना। इस प्रकार जंजीरा का एक छोटा-सा राज्य स्थापित हो गया, जो दीर्घकाल तक राजनीतिक परिवर्तनों में भी सुरक्षित रहा।

जब शिवाजी ने 1657 ई. में कल्याण पर आक्रमण करके उत्तरी कोंकण के बीजापुर भाग को हस्तगत कर लिया, तो सिद्दी सरदार ने अपने वीर नाविकों के विशाल दल द्वांरा उनका डटकर मुकाबला किया। अतः शिवाजी के लिए आवश्यक हो गया कि वे अपने लिए नौ-सेना का निर्माण करें, जिससे सिद्दी शक्ति को रोका जा सके, साथ ही पश्चिमी तट पर अपनी सत्ता को प्रबल भी बना सके। सिद्दियों से शिवाजी का युद्ध 1657 ई. में आरम्भ हुआ और मृत्युपर्यंत चलता रहा। बीच-बीच में कुछ भीषण लड़ाइयाँ भी हुईं। एक बार ऐसा भी हुआ कि जंजीरा को छोड़कर सिद्दी के समस्त प्रदेशों पर शिवाजी का अधिकार हो गया। लेकिन बदली हुई परिस्थितियों में शिवाजी की यह जीत क्षणिक रही। मुग़लों की सहायता से और उनके प्रोत्साहन से सिद्दियों की शक्ति निरंतर बढ़ती गई, जिसके परिणामस्वरूप दोनों में संघर्ष चलता रहा।

मराठों के नौसेनाध्यक्ष 'सरदार आंग्रे' ने 1734-35 ई. में जंजीरा के कई भागों पर अधिकार कर लिया। सिद्दी द्वारा कोलाबा पर भयंकर आक्रमण से शाहू बहुत क्रुद्ध हुआ। उसने 1736 ई. में 'चिमनाजी अप्पा' को सिद्दियों के विरुद्ध भेजा। उसने इस मामले को पूरी गम्भीरता से लिया और शीघ्र आक्रमण करके सिद्दी शक्ति का दमन किया। कालांतर में तुलोजी आंग्रे ने सिद्दियों का लगभग पूर्ण दमन किया। [[चित्र:Janjira-Fort-7.jpg|thumb|left|जंजीरा क़िला, महाराष्ट्र|250px]]

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

वीथिका

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख