कहहिं बचन मृदु बिप्र अनेका: Difference between revisions

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वे सब अनेकों [[ब्राह्मण]] कोमल वचन कहने लगे कि [[राम|श्री रामजी]] का राज्याभिषेक संपूर्ण जगत् को आनंद देने वाला है। हे [[मुनि|मुनिश्रेष्ठ]]! अब विलम्ब न कीजिए और महाराज का [[तिलक]] शीघ्र कीजिए॥4॥  
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Latest revision as of 09:05, 10 February 2021

कहहिं बचन मृदु बिप्र अनेका
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली सोरठा, चौपाई, छन्द और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड उत्तरकाण्ड
चौपाई

कहहिं बचन मृदु बिप्र अनेका। जग अभिराम राम अभिषेका॥
अब मुनिबर बिलंब नहिं कीजै। महाराज कहँ तिलक करीजै॥4॥

भावार्थ

वे सब अनेकों ब्राह्मण कोमल वचन कहने लगे कि श्री रामजी का राज्याभिषेक संपूर्ण जगत् को आनंद देने वाला है। हे मुनिश्रेष्ठ! अब विलम्ब न कीजिए और महाराज का तिलक शीघ्र कीजिए॥4॥


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चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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