चक्रासन: Difference between revisions
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'''चक्रासन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Chakrasana'') पीठ के बल लेट कर किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण योगाभ्यास है। 'चक्र' का अर्थ होता है- पहिया। इस [[आसन]] को करने पर शरीर की आकृति चक्र के सामान नजर आती है। इसलिए इस आसन को 'चक्रासन' कहा जाता है। [[धनुरासन]] के विपरीत होने की वजह से इसे 'उर्ध्व धनुरासन' भी कहते हैं। योगशास्त्र में इस आसान को 'मणिपूरक चक्र' कहा जाता है। | '''चक्रासन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Chakrasana'' or ''Wheel Pose'') पीठ के बल लेट कर किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण योगाभ्यास है। 'चक्र' का अर्थ होता है- पहिया। इस [[आसन]] को करने पर शरीर की आकृति चक्र के सामान नजर आती है। इसलिए इस आसन को 'चक्रासन' कहा जाता है। [[धनुरासन]] के विपरीत होने की वजह से इसे 'उर्ध्व धनुरासन' भी कहते हैं। योगशास्त्र में इस आसान को 'मणिपूरक चक्र' कहा जाता है। | ||
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#सबसे पहले स्वस्छ और समतल जमीन पर चटाई या आसन बिछा लें। | #सबसे पहले स्वस्छ और समतल जमीन पर चटाई या आसन बिछा लें। |
Latest revision as of 16:07, 8 June 2021
thumb|250px|चक्रासन चक्रासन (अंग्रेज़ी: Chakrasana or Wheel Pose) पीठ के बल लेट कर किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण योगाभ्यास है। 'चक्र' का अर्थ होता है- पहिया। इस आसन को करने पर शरीर की आकृति चक्र के सामान नजर आती है। इसलिए इस आसन को 'चक्रासन' कहा जाता है। धनुरासन के विपरीत होने की वजह से इसे 'उर्ध्व धनुरासन' भी कहते हैं। योगशास्त्र में इस आसान को 'मणिपूरक चक्र' कहा जाता है।
विधि
- सबसे पहले स्वस्छ और समतल जमीन पर चटाई या आसन बिछा लें।
- अब जमीन पर पीठ के बल शवासन की स्थिति में लेट जायें।
- फिर दोनों पेरों के बीच एक से डेढ़ फ़ीट का अंतर बनायें तथा पेरों के तलवों और एड़ियों को जमीन से लगाएं।
- अब दोनों हाथों की कोहनियों को मोड़कर, हाथों को जमीन पर कान के पास इस प्रकार लगाएं कि उंगलियाँ कंधों की ओर तथा हथेलियां समतल जमीन पर टिक जायें।
- अब शरीर को हल्का ढीला छोड़ें और गहरी साँस लें।
- पैरों और हाथों को सीधा करते हुए, कमर, पीठ तथा छाती को ऊपर की ओर उठाएं। सिर को कमर की ओर ले जाने का प्रयास करें तथा शरीर को ऊपर करते समय साँस रोककर रखें।
- अंतिम स्थिति में पीठ को सुविधानुसार पहिये का आकर देने की कोशिश करें।
- शुरुआत में इस आसन को 15 सेकंड तक करने का प्रयत्न करें। अभ्यास अच्छे से हो जाने पर 2 मिनट तक करें।
- कुछ समय पश्चात् शवासन की अवस्था में लोट आएं।
- यह आसन समान्य आसनों से थोड़ा कठिन होता है, इसलिए इस आसन को योगाचार्य की उपस्थिति में करें। प्रतिदिन धीरे-धीरे अभ्यास करते रहेंगे तो इसे आसानी से कर पाएंगे; लेकिन प्रारंभिक दौर में शरीर पर अत्यधिक दबाव न डालें।
लाभ
यह योग जितना कठिन है उतना ही शरीर के लिए लाभप्रद भी है-
- यह आसन करने से रक्त का प्रवाह तेजी से होता है।
- मेरुदंड तथा शरीर की समस्त नाड़ियों का शुद्धिकरण होकर योगिक चक्र जाग्रत होते हैं।
- छाती, कमर और पीठ पतली और लचीली होती है साथ ही रीड़ की हड्डी और फेफड़ों में लचीलापन आता है।
- मांसपेशियों मजबूत होती हैं जिसके कारण हाथ, पैर और कंधे चुस्त दुरुस्त होते हैं।
- इस आसन के करने से लकवा, शारीरिक थकान, सिरदर्द, कमर दर्द तथा आंतरिक अंगों में होने वाले दर्द से मुक्ति मिलती है।
- पाचन शक्ति बड़ती है। पेट की अनावश्चयक चर्बी कम होती है और शरीर की लम्बाई बढ़ती है।
- इस आसन को नियमित करने से वृद्धावस्था में कमर झुकती नहीं है और शारीरिक स्फूर्ति बनी रहती है साथ ही स्वप्नदोष की समस्या से भी मुक्ति मिलती है।
सावधानियाँ
- योग करने से लाभ तब होता है, जब हम उन्हें सही तरीके और सही अवस्था में करें। थोड़ी सी गलती हमारे शरीर के लिए बहुत ही नुकसानदेह हो सकती है।
- महिलाओ को गर्भावस्था और मासिक धर्म के समय यह आसन नहीं करना चाहिए।
- दिल के मरीज, कमर और गर्दन दर्द के रोगी, हाई ब्लड प्रेशर और किसी भी तरह के ऑपरेशन वाले लोगों को भी यह आसन नहीं करना चाहिए।
- योगाचार्य की उपस्थिति में ही चक्रासन का अभ्यास करें।
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