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वड़ोदरा [[गुजरात]] का एक महत्त्वपूर्ण नगर है। वड़ोदरा शहर, वडोदरा ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय, पूर्वी-मध्य [[गुजरात]] राज्य, पश्चिम [[भारत]], [[अहमदाबाद]] के दक्षिण-पूर्व में विश्वामित्र नदी के तट पर स्थित है। वडोदरा को बड़ौदा भी कहते है। इसका सबसे पुराना उल्लेख 812 ई. के अधिकारदान या राजपात्र में है, जिसमें इसे वादपद्रक बताया गया है। यह अंकोत्तका शहर से संबद्ध बस्ती थी। इस क्षेत्र को जैनियों से छीनने वाले दोर राजपूत राजा चंदन के नाम पर शायद इसे चंदनवाटी के नाम से भी जाना जाता था। समय-समय पर इस शहर के नए नामकरण होते रहे, जैसे वारावती, वातपत्रक, बड़ौदा और [[1971]] में वडोदरा।  
वड़ोदरा [[गुजरात]] का एक महत्त्वपूर्ण नगर है। वड़ोदरा शहर, वडोदरा ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय, पूर्वी-मध्य [[गुजरात]] राज्य, पश्चिम [[भारत]], [[अहमदाबाद]] के दक्षिण-पूर्व में विश्वामित्र नदी के तट पर स्थित है। वडोदरा को बड़ौदा भी कहते है। इसका सबसे पुराना उल्लेख 812 ई. के अधिकारदान या राजपात्र में है, जिसमें इसे वादपद्रक बताया गया है। यह अंकोत्तका शहर से संबद्ध बस्ती थी। इस क्षेत्र को जैनियों से छीनने वाले दोर राजपूत राजा चंदन के नाम पर शायद इसे चंदनवाटी के नाम से भी जाना जाता था। समय-समय पर इस शहर के नए नामकरण होते रहे, जैसे वारावती, वातपत्रक, बड़ौदा और [[1971]] में वडोदरा।  
==इतिहास==
==इतिहास==
वडोदरा के इतिहास को हिंदू काल (1297 तक ), [[दिल्ली]] की मुस्लिम सल्तनत के अधीन काल (1297 से लगभग 1401), स्वतंत्र [[गुजरात]] सल्तनत जिसके दौरान वर्तमान शहर के केंद्र की स्थापना हुई (लगभग 1401 से लगभग 1573), [[मुगल काल|मुग़ल साम्राज्य]] का काल (लगभग 1573 -1734) और [[मराठा साम्राज्य|मराठा काल]], जिसके दौरान यह शक्तिशाली गायकवाड़ परिवार की राजधानी बना (1734 -[[1947]]), में विभक्त किया जा सकता है। अंग्रेज़ों ने [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] और गायकवाड़ शासकों के संबंधों को सुचारु बनाए रखने के लिए 1802 में इस शहर में रेज़िडेंसी की स्थापना की, बाद में यह [[गुजरात]] तथा [[काठियावाड़]] प्रायद्वीप के सभी राज्यों के साथ राज्यों के साथ [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के संबंधों के लिए ज़िम्मेदार रहा। [[मराठा|मराठों]] ने 1706 ई. में बड़ौदा पर आक्रमण करके इसे लूटा। दामाजी गायकवाड़ (1732 -1768 ई.) ने बड़ौदा रियासत की नींव रखी और बड़ौदा को गायकवाड़ों की राजधानी बनाया। दामाजी ने यहाँ अनेक भव्य इमारतों का निर्माण करवाया, जिससे शहर का आकर्षण बढ़ा।
वडोदरा के इतिहास को हिंदू काल (1297 तक ), [[दिल्ली]] की मुस्लिम सल्तनत के अधीन काल (1297 से लगभग 1401), स्वतंत्र [[गुजरात]] सल्तनत जिसके दौरान वर्तमान शहर के केंद्र की स्थापना हुई (लगभग 1401 से लगभग 1573), [[मुगल काल|मुग़ल साम्राज्य]] का काल (लगभग 1573 -1734) और [[मराठा साम्राज्य|मराठा काल]], जिसके दौरान यह शक्तिशाली गायकवाड़ परिवार की राजधानी बना (1734 -[[1947]]), में विभक्त किया जा सकता है। अंग्रेज़ों ने [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] और गायकवाड़ शासकों के संबंधों को सुचारु बनाए रखने के लिए 1802 में इस शहर में रेज़िडेंसी की स्थापना की, बाद में यह [[गुजरात]] तथा [[काठियावाड़]] प्रायद्वीप के सभी राज्यों के साथ राज्यों के साथ [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के संबंधों के लिए ज़िम्मेदार रहा। [[मराठा|मराठों]] ने 1706 ई. में बड़ौदा पर आक्रमण करके इसे लूटा। दामाजी गायकवाड़ (1732 -1768 ई.) ने बड़ौदा रियासत की नींव रखी और बड़ौदा को गायकवाड़ों की राजधानी बनाया। दामाजी ने यहाँ अनेक भव्य इमारतों का निर्माण करवाया, जिससे शहर का आकर्षण बढ़ा।
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[[चित्र:Laxmi-Vilas-Palace-Vadadora.jpg|thumb|220px|लक्ष्मी विलास पैलेस, वड़ोदरा<br />Laxmi Vilas Palace, Vadodara]]
==शिक्षण संस्थान==
==शिक्षण संस्थान==
वडोदरा का लंबा इतिहास इसके कई महलों, द्वारों, उद्यानों और मार्गों से परिलक्षित होता है। यहाँ महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी ऑफ़ बड़ौदा ([[1949]]) तथा अन्य शैक्षणिक व सांस्कृतिक संस्थान हैं, जिनमें इंजीनियरिंग संकाय, मेडिकल कॉलेज वडोदरा होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज, वडोदरा बायोइंफ़ॉर्मेटिक्स सेंटर, कला भवन तथा कई संग्रहालय शामिल हैं।  
वडोदरा का लंबा इतिहास इसके कई महलों, द्वारों, उद्यानों और मार्गों से परिलक्षित होता है। यहाँ महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी ऑफ़ बड़ौदा ([[1949]]) तथा अन्य शैक्षणिक व सांस्कृतिक संस्थान हैं, जिनमें इंजीनियरिंग संकाय, मेडिकल कॉलेज वडोदरा होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज, वडोदरा बायोइंफ़ॉर्मेटिक्स सेंटर, कला भवन तथा कई संग्रहालय शामिल हैं।  
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इस शहर का एक प्रमुख स्थान बड़ौदा संग्रहालय और चित्र दीर्घा है, जिसकी स्थापना बड़ौदा के महाराजा गायकवाड़ ने 1894 में उत्कृष्ट कलाकृतियों के प्रतिनिधि संग्रह के रूप में की थी। इसके भवन का निर्माण [[1908]] से [[1914]] के बीच हुआ और औपचारिक रूप से [[1921]] में दीर्घा का उद्घाटन हुआ। इस संग्रहालय में यूरोपीय चित्र, विशेषकर जॉर्ज रोमने के इंग्लिश रूपचित्र, सर जोशुआ रेनॉल्ड्स तथा सर पीटर लेली की शैलियों की कृतियाँ और भारतीय पुस्तक चित्र, मूर्तिशिल्प, लोक कला, वैज्ञानिक वस्तुएँ व मानव जाति के वर्णन से संबंधित वस्तुएँ प्रदर्शित की गई हैं। यहाँ इतालवी, स्पेनिश, डच और फ्लेमिश कलाकारों की कृतियाँ भी रखी गई हैं।  
इस शहर का एक प्रमुख स्थान बड़ौदा संग्रहालय और चित्र दीर्घा है, जिसकी स्थापना बड़ौदा के महाराजा गायकवाड़ ने 1894 में उत्कृष्ट कलाकृतियों के प्रतिनिधि संग्रह के रूप में की थी। इसके भवन का निर्माण [[1908]] से [[1914]] के बीच हुआ और औपचारिक रूप से [[1921]] में दीर्घा का उद्घाटन हुआ। इस संग्रहालय में यूरोपीय चित्र, विशेषकर जॉर्ज रोमने के इंग्लिश रूपचित्र, सर जोशुआ रेनॉल्ड्स तथा सर पीटर लेली की शैलियों की कृतियाँ और भारतीय पुस्तक चित्र, मूर्तिशिल्प, लोक कला, वैज्ञानिक वस्तुएँ व मानव जाति के वर्णन से संबंधित वस्तुएँ प्रदर्शित की गई हैं। यहाँ इतालवी, स्पेनिश, डच और फ्लेमिश कलाकारों की कृतियाँ भी रखी गई हैं।  
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[[चित्र:Museum-Vadodara.jpg|thumb|220px|वड़ोदरा संग्रहालय<br />Vadodara Museum]]
====<u>उद्योग</u>====
====<u>उद्योग</u>====
इस शहर में उत्पादित होने वाली विभिन्न प्रकार की वस्तुओं में सूती वस्त्र तथा हथकरघा वस्त्र, रसायन, दियासलाई, मशीलें और फ़र्नीचर शामिल हैं।  
इस शहर में उत्पादित होने वाली विभिन्न प्रकार की वस्तुओं में सूती वस्त्र तथा हथकरघा वस्त्र, रसायन, दियासलाई, मशीलें और फ़र्नीचर शामिल हैं।  

Revision as of 05:25, 9 February 2011

बड़ोदरा / बड़ौदा
[[चित्र:Statue-Gandhi.jpg|thumb|220px|महात्मा गाँधी जी की प्रतिमा]] वड़ोदरा गुजरात का एक महत्त्वपूर्ण नगर है। वड़ोदरा शहर, वडोदरा ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय, पूर्वी-मध्य गुजरात राज्य, पश्चिम भारत, अहमदाबाद के दक्षिण-पूर्व में विश्वामित्र नदी के तट पर स्थित है। वडोदरा को बड़ौदा भी कहते है। इसका सबसे पुराना उल्लेख 812 ई. के अधिकारदान या राजपात्र में है, जिसमें इसे वादपद्रक बताया गया है। यह अंकोत्तका शहर से संबद्ध बस्ती थी। इस क्षेत्र को जैनियों से छीनने वाले दोर राजपूत राजा चंदन के नाम पर शायद इसे चंदनवाटी के नाम से भी जाना जाता था। समय-समय पर इस शहर के नए नामकरण होते रहे, जैसे वारावती, वातपत्रक, बड़ौदा और 1971 में वडोदरा।

इतिहास

वडोदरा के इतिहास को हिंदू काल (1297 तक ), दिल्ली की मुस्लिम सल्तनत के अधीन काल (1297 से लगभग 1401), स्वतंत्र गुजरात सल्तनत जिसके दौरान वर्तमान शहर के केंद्र की स्थापना हुई (लगभग 1401 से लगभग 1573), मुग़ल साम्राज्य का काल (लगभग 1573 -1734) और मराठा काल, जिसके दौरान यह शक्तिशाली गायकवाड़ परिवार की राजधानी बना (1734 -1947), में विभक्त किया जा सकता है। अंग्रेज़ों ने ईस्ट इंडिया कंपनी और गायकवाड़ शासकों के संबंधों को सुचारु बनाए रखने के लिए 1802 में इस शहर में रेज़िडेंसी की स्थापना की, बाद में यह गुजरात तथा काठियावाड़ प्रायद्वीप के सभी राज्यों के साथ राज्यों के साथ अंग्रेज़ों के संबंधों के लिए ज़िम्मेदार रहा। मराठों ने 1706 ई. में बड़ौदा पर आक्रमण करके इसे लूटा। दामाजी गायकवाड़ (1732 -1768 ई.) ने बड़ौदा रियासत की नींव रखी और बड़ौदा को गायकवाड़ों की राजधानी बनाया। दामाजी ने यहाँ अनेक भव्य इमारतों का निर्माण करवाया, जिससे शहर का आकर्षण बढ़ा। thumb|220px|लक्ष्मी विलास पैलेस, वड़ोदरा
Laxmi Vilas Palace, Vadodara

शिक्षण संस्थान

वडोदरा का लंबा इतिहास इसके कई महलों, द्वारों, उद्यानों और मार्गों से परिलक्षित होता है। यहाँ महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी ऑफ़ बड़ौदा (1949) तथा अन्य शैक्षणिक व सांस्कृतिक संस्थान हैं, जिनमें इंजीनियरिंग संकाय, मेडिकल कॉलेज वडोदरा होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज, वडोदरा बायोइंफ़ॉर्मेटिक्स सेंटर, कला भवन तथा कई संग्रहालय शामिल हैं।

कलाकृतियाँ

इस शहर का एक प्रमुख स्थान बड़ौदा संग्रहालय और चित्र दीर्घा है, जिसकी स्थापना बड़ौदा के महाराजा गायकवाड़ ने 1894 में उत्कृष्ट कलाकृतियों के प्रतिनिधि संग्रह के रूप में की थी। इसके भवन का निर्माण 1908 से 1914 के बीच हुआ और औपचारिक रूप से 1921 में दीर्घा का उद्घाटन हुआ। इस संग्रहालय में यूरोपीय चित्र, विशेषकर जॉर्ज रोमने के इंग्लिश रूपचित्र, सर जोशुआ रेनॉल्ड्स तथा सर पीटर लेली की शैलियों की कृतियाँ और भारतीय पुस्तक चित्र, मूर्तिशिल्प, लोक कला, वैज्ञानिक वस्तुएँ व मानव जाति के वर्णन से संबंधित वस्तुएँ प्रदर्शित की गई हैं। यहाँ इतालवी, स्पेनिश, डच और फ्लेमिश कलाकारों की कृतियाँ भी रखी गई हैं। thumb|220px|वड़ोदरा संग्रहालय
Vadodara Museum

उद्योग

इस शहर में उत्पादित होने वाली विभिन्न प्रकार की वस्तुओं में सूती वस्त्र तथा हथकरघा वस्त्र, रसायन, दियासलाई, मशीलें और फ़र्नीचर शामिल हैं।

परिवहन

वडोदरा एक रेल और मार्ग जंक्शन है तथा यहाँ एक हवाई अड्डा भी है।

कृषि

वडोदरा ज़िला 7,788 वर्ग किमी में फैला हुआ है, जो नर्मदा नदी (दक्षिण) से माही नदी (उत्तर) तक विस्तृत है। यह लगभग पूर्व बड़ौदा रियासत (गायकवाड़ राज्य के) की राजधानी के क्षेत्र या ज़िले के बराबर ही है। कपास, तंबाकू तथा एरंड की फलियाँ यहाँ की नक़दी फ़सलें हैं। स्थानीय उपयोग और निर्यात के लिए गेहूँ, दलहन, मक्का, चावल, तथा बाग़ानी फ़सलें उगाई जाती हैं।

जनसंख्या

2001 की जनगणना के अनुसार वड़ोदरा शहर की जनसंख्या 13,06,035 व ज़िले की कुल जनसंख्या 36,39,775 है।


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