चेरा नृत्य: Difference between revisions
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[[लोक नृत्य|लोक नृत्यों]] में चेरा मिज़ो जनों का बहुत पुराना पारम्परिक नृत्य है। ऐसा माना जाता है कि यह नृत्य पहली शताब्दी ए. डी. में भी मौजूद था जबकि कुछ मिज़ो जन तेरहवीं शताब्दी ए. डी. में चिन्ह पहाडियों में प्रवास के पहले [[चीन]] के यूनान प्रांत में कहीं रहते थे और अंतत: वे वर्तमान [[मिज़ोरम]] में आ कर बस गए। इनमें से कुछ जनजातियाँ दक्षिण पूर्व एशिया में रहती हैं और इनके एक या अनेक रूपों में भिन्न भिन्न नाम वाले समान प्रकार के नृत्य हैं। | [[लोक नृत्य|लोक नृत्यों]] में चेरा मिज़ो जनों का बहुत पुराना पारम्परिक नृत्य है। ऐसा माना जाता है कि यह नृत्य पहली शताब्दी ए. डी. में भी मौजूद था जबकि कुछ मिज़ो जन तेरहवीं शताब्दी ए. डी. में चिन्ह पहाडियों में प्रवास के पहले [[चीन]] के यूनान प्रांत में कहीं रहते थे और अंतत: वे वर्तमान [[मिज़ोरम]] में आ कर बस गए। इनमें से कुछ जनजातियाँ दक्षिण पूर्व एशिया में रहती हैं और इनके एक या अनेक रूपों में भिन्न भिन्न नाम वाले समान प्रकार के नृत्य हैं। | ||
भूमि पर आमने-सामने पुरुष बैठे होते हैं और बांसों की आड़ी और खड़ी कतारों में इन जोड़ों को लय पर खोलते और बंद करते हैं। लड़कियाँ पारम्परिक मिज़ो परिधान 'पुआनछेई', 'कवरछेई', 'वकीरिया' और 'थिहना' पहन कर नृत्य करती है तथा वे बाँस के बीच क़दम बाहर और अंदर रखती हैं। यह नृत्य लगभग सभी त्योहार के अवसरों पर किया जाता है। चेरा की यह अनोखी शैली उन सभी स्थानों पर अत्यंत मनमोहक प्रतीत होता है, जहाँ इसे किया जाता है। नृत्य के साथ गोंग और नाद-वाद्य बजाए जाते हैं। वर्तमान समय में आधुनिक संगीत भी इस नृत्य में उपयोग किया जाता है। | भूमि पर आमने-सामने पुरुष बैठे होते हैं और बांसों की आड़ी और खड़ी कतारों में इन जोड़ों को लय पर खोलते और बंद करते हैं। लड़कियाँ पारम्परिक मिज़ो परिधान 'पुआनछेई', 'कवरछेई', 'वकीरिया' और 'थिहना' पहन कर नृत्य करती है तथा वे बाँस के बीच क़दम बाहर और अंदर रखती हैं। यह नृत्य लगभग सभी त्योहार के अवसरों पर किया जाता है। चेरा की यह अनोखी शैली उन सभी स्थानों पर अत्यंत मनमोहक प्रतीत होता है, जहाँ इसे किया जाता है। नृत्य के साथ गोंग और नाद-वाद्य बजाए जाते हैं। वर्तमान समय में आधुनिक [[संगीत]] भी इस नृत्य में उपयोग किया जाता है। | ||
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लोक नृत्यों में चेरा मिज़ो जनों का बहुत पुराना पारम्परिक नृत्य है। ऐसा माना जाता है कि यह नृत्य पहली शताब्दी ए. डी. में भी मौजूद था जबकि कुछ मिज़ो जन तेरहवीं शताब्दी ए. डी. में चिन्ह पहाडियों में प्रवास के पहले चीन के यूनान प्रांत में कहीं रहते थे और अंतत: वे वर्तमान मिज़ोरम में आ कर बस गए। इनमें से कुछ जनजातियाँ दक्षिण पूर्व एशिया में रहती हैं और इनके एक या अनेक रूपों में भिन्न भिन्न नाम वाले समान प्रकार के नृत्य हैं।
भूमि पर आमने-सामने पुरुष बैठे होते हैं और बांसों की आड़ी और खड़ी कतारों में इन जोड़ों को लय पर खोलते और बंद करते हैं। लड़कियाँ पारम्परिक मिज़ो परिधान 'पुआनछेई', 'कवरछेई', 'वकीरिया' और 'थिहना' पहन कर नृत्य करती है तथा वे बाँस के बीच क़दम बाहर और अंदर रखती हैं। यह नृत्य लगभग सभी त्योहार के अवसरों पर किया जाता है। चेरा की यह अनोखी शैली उन सभी स्थानों पर अत्यंत मनमोहक प्रतीत होता है, जहाँ इसे किया जाता है। नृत्य के साथ गोंग और नाद-वाद्य बजाए जाते हैं। वर्तमान समय में आधुनिक संगीत भी इस नृत्य में उपयोग किया जाता है।
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