देव: Difference between revisions
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*ईरानी में दाएवा, [[भारत]] के [[वैदिक धर्म]] में कई दिव्य शक्तियों में से एक, जिनका आकाश, वायु और धरती देवता<ref>उदाहरण के लिए; [[इंद्र]], [[सोम देव|सोम]]</ref> के रूप में प्राकृतिक शक्तियों की पहचान के लिए मोटे तीर पर वर्गीकरण किया गया है। | |||
*ईरानी में दाएवा, [[भारत]] के [[वैदिक धर्म]] में कई दिव्य शक्तियों में से एक, जिनका आकाश, वायु और धरती देवता<ref>उदाहरण के लिए; [[इंद्र]], [[सोम देव|सोम]]</ref> के रूप में प्राकृतिक शक्तियों की पहचान के लिए मोटे तीर पर | |||
*वैदिक युग के अंतिम दौर में उभर कर सामने आई एकेश्वरवादी प्रणाली में देव एक सर्वोच्च शक्ति के आधीन हो गए। | *वैदिक युग के अंतिम दौर में उभर कर सामने आई एकेश्वरवादी प्रणाली में देव एक सर्वोच्च शक्ति के आधीन हो गए। | ||
*वैदिक काल में ईश्वरों को दो श्रेणियों देवों और [[असुर|असुरों]] | *वैदिक काल में ईश्वरों को दो श्रेणियों देवों और [[असुर|असुरों]]<ref>अवेस्ता में दाएवा और अहुरा</ref> में रखा गया था। | ||
*भारत में देव, असुरों से अधिक शक्तिशाली बन गए और कालांतर में असुरों को लगभग राक्षस माना जाने लगा। | *भारत में देव, असुरों से अधिक शक्तिशाली बन गए और कालांतर में असुरों को लगभग राक्षस माना जाने लगा। | ||
*[[ईरान]] में इससे विपरीत हुआ और देवों को ज़रथुस्त्र ने दानव कह कर त्याग दिया। | *[[ईरान]] में इससे विपरीत हुआ और देवों को ज़रथुस्त्र ने दानव कह कर त्याग दिया। | ||
*बौद्ध ब्रह्मांड में अस्तित्व के तीन क्षेत्र हैं। इनमें से निम्नवत काम-धातु<ref>इच्छा का राज्य</ref> है। | *बौद्ध ब्रह्मांड में अस्तित्व के तीन क्षेत्र हैं। इनमें से निम्नवत काम-धातु<ref>इच्छा का राज्य</ref> है। | ||
*काम-धातु को छह गतियों या नियतियों में रखा गया है, जिनमें देवताओं<ref>देव तथा देवियाँ</ref> का राज्य सर्वोच्च है। इस नियति में कई स्वर्ग हैं, जिनमें अनेक [[देवता]] रहते हैं। | *काम-धातु को छह गतियों या नियतियों में रखा गया है, जिनमें देवताओं<ref>देव तथा देवियाँ</ref> का राज्य सर्वोच्च है। | ||
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Revision as of 05:58, 9 October 2011
देव एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है दिव्य।
- ईरानी में दाएवा, भारत के वैदिक धर्म में कई दिव्य शक्तियों में से एक, जिनका आकाश, वायु और धरती देवता[1] के रूप में प्राकृतिक शक्तियों की पहचान के लिए मोटे तीर पर वर्गीकरण किया गया है।
- वैदिक युग के अंतिम दौर में उभर कर सामने आई एकेश्वरवादी प्रणाली में देव एक सर्वोच्च शक्ति के आधीन हो गए।
- वैदिक काल में ईश्वरों को दो श्रेणियों देवों और असुरों[2] में रखा गया था।
- भारत में देव, असुरों से अधिक शक्तिशाली बन गए और कालांतर में असुरों को लगभग राक्षस माना जाने लगा।
- ईरान में इससे विपरीत हुआ और देवों को ज़रथुस्त्र ने दानव कह कर त्याग दिया।
- बौद्ध ब्रह्मांड में अस्तित्व के तीन क्षेत्र हैं। इनमें से निम्नवत काम-धातु[3] है।
- काम-धातु को छह गतियों या नियतियों में रखा गया है, जिनमें देवताओं[4] का राज्य सर्वोच्च है।
- इस नियति में कई स्वर्ग हैं, जिनमें अनेक देवता रहते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख