User:प्रीति चौधरी/अभ्यास पन्ना4: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 13: | Line 13: | ||
-[[अजंता की गुफ़ाएँ|अजंता]] | -[[अजंता की गुफ़ाएँ|अजंता]] | ||
-[[मथुरा]] | -[[मथुरा]] | ||
||[[बिहार]] के [[भागलपुर ज़िला|भागलपुर ज़िले]] सुल्तानगंज से एक विशाल [[गुप्त काल]] की [[बौद्ध]] प्रतिमा मिली है, जो काँसे से निर्मित है। वर्तमान में यह प्रतिमा बर्मिघम, [[इंग्लैण्ड]] के संग्रहालय में सुरक्षित है। [[महात्मा बुद्ध]] की यह प्रतिमा दो टन से भी अधिक भारी तथा दो मीटर ऊँची है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सुल्तानगंज]] | ||[[बिहार]] के [[भागलपुर ज़िला|भागलपुर ज़िले]] में स्थित [[सुल्तानगंज]] से एक विशाल [[गुप्त काल]] की [[बौद्ध]] प्रतिमा मिली है, जो काँसे से निर्मित है। वर्तमान में यह प्रतिमा बर्मिघम, [[इंग्लैण्ड]] के संग्रहालय में सुरक्षित है। [[महात्मा बुद्ध]] की यह प्रतिमा दो टन से भी अधिक भारी तथा दो मीटर ऊँची है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सुल्तानगंज]] | ||
{संगम काल का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण नगर कौन-सा था? | {संगम काल का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण नगर कौन-सा था? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[अरिकमेडु]] | -[[अरिकमेडु]] | ||
- | -[[कांची]] | ||
+[[पुहार]] | +[[पुहार]] | ||
-[[मदुरा]] | -[[मदुरा]] | ||
Line 26: | Line 26: | ||
+[[यशोवर्मन]] | +[[यशोवर्मन]] | ||
-[[धंगदेव]] | -[[धंगदेव]] | ||
- | -[[कीर्तिवर्मन ]] | ||
-[[गंडदेव]] | -[[गंडदेव]] | ||
||विजेता होने के साथ ही साथ एक निर्माता के रूप में [[यशोवर्मन]] ने [[खजुराहो]] में | ||विजेता होने के साथ ही साथ एक निर्माता के रूप में [[यशोवर्मन]] ने [[खजुराहो]] में भगवान [[विष्णु]] का एक विशाल मन्दिर ('कंदारिया महादेव मंदिर') का निर्माण करवाया, जिसे 'चतुर्भुज मंदिर' भी माना जाता है। इस मंदिर में उसने [[वैकुण्ठ]] की मूर्ति स्थापित करायी थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[यशोवर्मन]] | ||
{[[दिल्ली]] के '[[तुग़लक़ वंश]]' का संस्थापक कौन था? | {[[दिल्ली]] के '[[तुग़लक़ वंश]]' का संस्थापक कौन था? | ||
Line 50: | Line 50: | ||
-[[शाहजी भोंसले]] | -[[शाहजी भोंसले]] | ||
+दादाजी कोंणदेव | +दादाजी कोंणदेव | ||
-उपर्युक्त में से कोई नहीं | -उपर्युक्त में से कोई नहीं | ||
{किस [[जाट]] नेता को 'प्लेटो' की उपाधि दी गई? | {किस [[जाट]] नेता को 'प्लेटो' की उपाधि दी गई? | ||
Line 58: | Line 58: | ||
-[[राजाराम]] | -[[राजाराम]] | ||
+[[सूरजमल]] | +[[सूरजमल]] | ||
||[[चित्र:Maharaja-Surajmal-1.jpg|राजा सूरजमल|100px|right]]राजा सूरजमल एक सुयोग्य शासक था। उसने [[ब्रज]] में एक स्वतंत्र [[हिन्दू]] राज्य | ||[[चित्र:Maharaja-Surajmal-1.jpg|राजा सूरजमल|100px|right]]राजा सूरजमल एक सुयोग्य [[जाट]] शासक था। उसने [[ब्रज]] में एक स्वतंत्र [[हिन्दू]] राज्य की स्थापना करके [[इतिहास]] में गौरव प्राप्त किया है। उसके शासन का समय सन 1755 ई. से सन 1763 ई. है। वह सन 1755 ई. के कई साल पहले से ही अपने [[पिता]] [[बदनसिंह]] के शासन के समय से ही राज्य के समस्त कार्यों को सम्भाले लगा था। [[सूरजमल]] ने बहुत पहले ही अपनी सैन्य क्षमताओं को विकसित कर लिया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूरजमल]] | ||
{कौन-सा विदेशी आक्रमणकारी '[[कोहिनूर हीरा]]' एवं '[[मयूर सिंहासन]]' लूटकर अपने साथ स्वदेश ले गया? | {कौन-सा विदेशी आक्रमणकारी '[[कोहिनूर हीरा]]' एवं '[[मयूर सिंहासन]]' लूटकर अपने साथ स्वदेश ले गया? | ||
Line 66: | Line 66: | ||
-[[मुहम्मद ग़ोरी]] | -[[मुहम्मद ग़ोरी]] | ||
-[[अंग्रेज़]] | -[[अंग्रेज़]] | ||
||[[चित्र:Nader-Shah.jpg|नादिरशाह|100px|right]]नादिरशाह के आक्रमण के कारण [[दिल्ली]] में हज़ारों नागरिक मारे गये और वहाँ भारी लूट की गई। इस लूट में [[नादिरशाह]] को बेशुमार दौलत मिली थी। उसे 20 करोड़ की बजाय 30 करोड़ रुपया नक़द मिला। उसके अतिरिक्त ढेरो जवाहरात, बेगमों के बहुमूल्य आभूषण, [[सोना]]-[[चाँदी]] के अगणित वर्तमान तथा अन्य वेश-क़ीमती वस्तुएँ उसे मिली थीं। इनके साथ ही साथ दिल्ली की लूट में उसे [[कोहिनूर हीरा]] और [[शाहजहाँ]] का 'तख्त-ए-ताऊस' ([[मयूर सिंहासन]]) भी मिला था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नादिरशाह]] | ||[[चित्र:Nader-Shah.jpg|नादिरशाह|100px|right]]नादिरशाह के आक्रमण के कारण [[दिल्ली]] में हज़ारों नागरिक मारे गये थे और वहाँ भारी लूट की गई। इस लूट में [[नादिरशाह]] को बेशुमार दौलत मिली थी। उसे 20 करोड़ की बजाय 30 करोड़ रुपया नक़द मिला। उसके अतिरिक्त ढेरो जवाहरात, बेगमों के बहुमूल्य आभूषण, [[सोना]]-[[चाँदी]] के अगणित वर्तमान तथा अन्य वेश-क़ीमती वस्तुएँ उसे मिली थीं। इनके साथ ही साथ दिल्ली की लूट में उसे [[कोहिनूर हीरा]] और [[शाहजहाँ]] का 'तख्त-ए-ताऊस' ([[मयूर सिंहासन]]) भी मिला था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नादिरशाह]] | ||
{'तेलंगाना किसान आंदोलन' का मुख्य कारण क्या था? | {'तेलंगाना किसान आंदोलन' का मुख्य कारण क्या था? | ||
Line 102: | Line 102: | ||
+[[मोहम्मद अली जिन्ना]] | +[[मोहम्मद अली जिन्ना]] | ||
-[[अबुल कलाम आज़ाद]] | -[[अबुल कलाम आज़ाद]] | ||
||[[चित्र:Jinnah Gandhi.jpg|100px|right|मोहम्मद अली जिन्ना]]मोहम्मद अली जिन्ना ने [[मुस्लिम लीग]] का पुनर्गठन किया और [[महात्मा गाँधी]] द्वारा उन्हें 'क़ायदे आज़म' के रूप में पुकारा गया। 1940 ई. में उन्होंने धार्मिक आधार पर [[भारत]] के विभाजन तथा मुस्लिम बहुसंख्यक प्रान्तों को मिलाकर [[पाकिस्तान]] बनाने की मांग की। बहुत कुछ उन्हीं की वजह से 1947 ई. में भारत का विभाजन हो गया और पाकिस्तान की स्थापना हुई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मोहम्मद अली जिन्ना]] | ||[[चित्र:Jinnah Gandhi.jpg|100px|right|मोहम्मद अली जिन्ना]]मोहम्मद अली जिन्ना ने [[मुस्लिम लीग]] का पुनर्गठन किया था और [[महात्मा गाँधी]] द्वारा उन्हें 'क़ायदे आज़म' के रूप में पुकारा गया। 1940 ई. में उन्होंने धार्मिक आधार पर [[भारत]] के विभाजन तथा मुस्लिम बहुसंख्यक प्रान्तों को मिलाकर [[पाकिस्तान]] बनाने की मांग की। बहुत कुछ उन्हीं की वजह से 1947 ई. में भारत का विभाजन हो गया और पाकिस्तान की स्थापना हुई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मोहम्मद अली जिन्ना]] | ||
{निम्नलिखित में से कौन-सी [[बौद्ध]] रचना [[गीता]] के समान पवित्र मानी जाती है? | {निम्नलिखित में से कौन-सी [[बौद्ध]] रचना [[गीता]] के समान पवित्र मानी जाती है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+[[जातक कथा|जातक]] | +[[जातक कथा|जातक]] | ||
-धम्मपद | -[[धम्मपद]] | ||
- | -[[त्रिपिटक]] | ||
-[[बुद्धचरित]] | -[[बुद्धचरित]] | ||
Line 117: | Line 117: | ||
-[[चेतसिंह]] | -[[चेतसिंह]] | ||
-[[छत्रसाल]] | -[[छत्रसाल]] | ||
||अबुल फ़ज़ल का जन्म 958 हिजरी (6 मुहर्रम, 14 जनवरी सन 1551 ई.) में हुआ था। वह बहुत पढ़ा-लिखा और विद्वान था और उसकी विद्वता का लोग आदर करते थे। उसका स्वभाव एकांतप्रिय | ||अबुल फ़ज़ल का जन्म 958 हिजरी (6 मुहर्रम, 14 जनवरी सन 1551 ई.) में हुआ था। वह बहुत पढ़ा-लिखा और विद्वान था और उसकी विद्वता का लोग आदर करते थे। उसका स्वभाव एकांतप्रिय था। [[अबुल फ़ज़ल]] रात्रि में दरवेशों के यहाँ जाता, उनमें अशर्फ़ियाँ बाँटता और अपने [[धर्म]] के लिए उनसे दुआ माँगता था। 1602 ई. में [[बुन्देला]] राजा वीरसिंह देव ने शहज़ादा सलीम ([[जहाँगीर]]) के उकसाने से अबुल फ़ज़ल की हत्या कर डाली।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अबुल फ़ज़ल]] | ||
</quiz> | </quiz> | ||
|} | |} | ||
|} | |} | ||
__NOTOC__ | __NOTOC__ |
Revision as of 08:08, 9 November 2011
इतिहास
|