महाभारत सामान्य ज्ञान 3: Difference between revisions
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|| [[चित्र:Vyasadeva-Sanjaya-Krishna.jpg|right|75px|संजय को दिव्यदृष्टि प्रदान करते हुये वेदव्यास जी]] [[वेदव्यास]] भगवान [[नारायण]] के ही कलावतार थे। व्यास जी के [[पिता]] का नाम [[पराशर]] ऋषि तथा माता का नाम [[सत्यवती]] था। जन्म लेते ही इन्होंने अपने पिता-माता से जंगल में जाकर तपस्या करने की इच्छा प्रकट की। प्रारम्भ में इनकी माता सत्यवती ने इन्हें रोकने का प्रयास किया, किन्तु अन्त में इनके माता के स्मरण करते ही लौट आने का वचन देने पर उन्होंने इनको वन जाने की आज्ञा दे दी। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[वेदव्यास|व्यास]] | || [[चित्र:Vyasadeva-Sanjaya-Krishna.jpg|right|75px|संजय को दिव्यदृष्टि प्रदान करते हुये वेदव्यास जी]] [[वेदव्यास]] भगवान [[नारायण]] के ही कलावतार थे। व्यास जी के [[पिता]] का नाम [[पराशर]] ऋषि तथा माता का नाम [[सत्यवती]] था। जन्म लेते ही इन्होंने अपने पिता-माता से जंगल में जाकर तपस्या करने की इच्छा प्रकट की। प्रारम्भ में इनकी माता सत्यवती ने इन्हें रोकने का प्रयास किया, किन्तु अन्त में इनके माता के स्मरण करते ही लौट आने का वचन देने पर उन्होंने इनको वन जाने की आज्ञा दे दी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वेदव्यास|व्यास]] | ||
{[[गांधारी]] ने कितनी बार अपने आँखों की पट्टी खोली? | {[[गांधारी]] ने कितनी बार अपने आँखों की पट्टी खोली? | ||
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+दो बार | +दो बार | ||
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||[[चित्र:Jarasandh1.jpg|right|100px|भीम-जरासंध युद्ध]][[महाभारत]] युद्ध में [[गान्धारी]] ने अपनी आँखों की पट्टी दो बार खोली थी। प्रथम बार उन्होंने [[दुर्योधन]] को आशीर्वाद स्वरूप वज्र का शरीर प्रदान करने के लिए नग्न अवस्था में देखा। इसके लिए उन्हें अपनी आँखों की पट्टी खोलनी पड़ी। दूसरी बार उन्होंने पट्टी तब खोली, जब महाभारत युद्ध अंतिम समय में था। [[भीम (पांडव)|भीम]] द्वारा दुर्योधन की जंघा तोड़ दी गई थी और वह भूमि पर पड़ा अपनी मृत्यु की प्रतीक्षा कर रहा था, गान्धारी ने अपनी आँखों की पट्टी को खोल दिया और वह [[कुरुक्षेत्र]] में दौड़ी आई। उनका एकमात्र जीवित पुत्र दुर्योधन भी अब अपनी अन्तिम साँसे ले रहा था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गान्धारी]] | |||
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Revision as of 14:20, 26 December 2011
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