खंडेरी दुर्ग: Difference between revisions
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*यह दुर्ग सुदृढ़ प्राचीर से घिरा हुआ है। | *यह दुर्ग सुदृढ़ प्राचीर से घिरा हुआ है। | ||
*[[शिवाजी]] ने दक्षिण में जंजीरा के सिद्दियों और उत्तर में बंबई के अंग्रेज़ों दोनों ने ही इस दुर्ग को अनेकों बार मराठों से छीनने का प्रयास किया किंतु असफल रहे। | *[[शिवाजी]] ने दक्षिण में जंजीरा के सिद्दियों और उत्तर में [[बंबई]] के [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] दोनों ने ही इस दुर्ग को अनेकों बार मराठों से छीनने का प्रयास किया, किंतु असफल रहे। | ||
*अंग्रेज़ों के बढ़ते प्रभाव के साथ ही खंडेरी महत्त्वहीन होकर पतन की ओर अग्रसर को गया। | *अंग्रेज़ों के बढ़ते प्रभाव के साथ ही खंडेरी महत्त्वहीन होकर पतन की ओर अग्रसर को गया। | ||
*दुर्ग की मूल संरचना समय के आघातों को सहकर आज भी एक रहस्य के साथ सुरक्षित है। | *दुर्ग की मूल संरचना समय के आघातों को सहकर आज भी एक रहस्य के साथ सुरक्षित है। | ||
* | *आज भी खंडेरी द्वीप एक प्रकाश के रूप में खड़ा है। | ||
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Revision as of 12:47, 10 February 2012
- खंडेरी का दुर्ग महाराष्ट्र में मुंबई से 20 कि.मी. दक्षिण में एक द्वीप पर स्थित है।
- यह दुर्ग सुदृढ़ प्राचीर से घिरा हुआ है।
- शिवाजी ने दक्षिण में जंजीरा के सिद्दियों और उत्तर में बंबई के अंग्रेज़ों दोनों ने ही इस दुर्ग को अनेकों बार मराठों से छीनने का प्रयास किया, किंतु असफल रहे।
- अंग्रेज़ों के बढ़ते प्रभाव के साथ ही खंडेरी महत्त्वहीन होकर पतन की ओर अग्रसर को गया।
- दुर्ग की मूल संरचना समय के आघातों को सहकर आज भी एक रहस्य के साथ सुरक्षित है।
- आज भी खंडेरी द्वीप एक प्रकाश के रूप में खड़ा है।
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