गैड़ी नृत्य: Difference between revisions
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'''गैड़ी नृत्य''' [[भारत]] के [[छत्तीसगढ़]] राज्य के प्रसिद्ध [[लोक नृत्य|लोक नृत्यों]] में से एक है। छत्तीसगढ़ के [[बस्तर ज़िला|बस्तर]] क्षेत्र के मारिया गौड़ आदिवासी अपने नृत्यों के लिए बहुत जाने जाते हैं। उनके इन्हीं [[नृत्य|नृत्यों]] में से गैड़ी नृत्य भी एक प्रभावशाली नृत्य है, जो नर्तकों के शारीरिक संतुलन को दर्शाता है। | '''गैड़ी नृत्य''' [[भारत]] के [[छत्तीसगढ़]] राज्य के प्रसिद्ध [[लोक नृत्य|लोक नृत्यों]] में से एक है। छत्तीसगढ़ के [[बस्तर ज़िला|बस्तर]] क्षेत्र के मारिया गौड़ आदिवासी अपने नृत्यों के लिए बहुत जाने जाते हैं। उनके इन्हीं [[नृत्य|नृत्यों]] में से गैड़ी नृत्य भी एक प्रभावशाली नृत्य है, जो नर्तकों के शारीरिक संतुलन को दर्शाता है। | ||
*यह [[नृत्य]] लकड़ी के डंडों के ऊपर शारीरिक संतुलन बनाये रखकर पद संचालन के साथ किया जाता है। | *यह [[नृत्य]] लकड़ी के डंडों के ऊपर शारीरिक संतुलन बनाये रखकर पद संचालन के साथ किया जाता है। |
Revision as of 12:39, 3 April 2012
thumb|250px|गैड़ी नृत्य गैड़ी नृत्य भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है। छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के मारिया गौड़ आदिवासी अपने नृत्यों के लिए बहुत जाने जाते हैं। उनके इन्हीं नृत्यों में से गैड़ी नृत्य भी एक प्रभावशाली नृत्य है, जो नर्तकों के शारीरिक संतुलन को दर्शाता है।
- यह नृत्य लकड़ी के डंडों के ऊपर शारीरिक संतुलन बनाये रखकर पद संचालन के साथ किया जाता है।
- प्राय: गैड़ी नृत्य जून से अगस्त माह में होता है।
- नृत्य करने वाले नर्तकों की कमर में कौड़ी से जड़ी पेटी बंधी होती है।
- पारम्परिक लोकवाद्यों की थाप के साथ ही यह नृत्य ज़ोर पकड़ता जाता है।
- इस नृत्य के वाद्यों में मांदर, शहनाई, चटकुला, डफ, टिमकी तथा सिंह बाजा प्रमुख हैं।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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