उत्तर ध्रुवीय ज्योति: Difference between revisions
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*उत्तरी अक्षांशों की ध्रुवीय ज्योति को 'सुमेरु ज्योति' या 'उत्तर ध्रुवीय ज्योति' कहा जाता है। | *उत्तरी अक्षांशों की ध्रुवीय ज्योति को 'सुमेरु ज्योति' या 'उत्तर ध्रुवीय ज्योति' कहा जाता है। | ||
*उत्तर ध्रुवीय ज्योति को ' | *उत्तर ध्रुवीय ज्योति को 'औरोरा बोरियालिस' के नाम से भी जानते हैं। | ||
*इनकी उत्पत्ति सौर वायु, [[सूर्य]] से प्रवाहित आवेशित एवं उच्च [[ऊर्जा]] वाले कणो की धारा, के [[पृथ्वी]] के वातावरण के थर्मोस्फ़ीयर के [[परमाणु]] से टकराने से होती है। | *इनकी उत्पत्ति सौर वायु, [[सूर्य]] से प्रवाहित आवेशित एवं उच्च [[ऊर्जा]] वाले कणो की धारा, के [[पृथ्वी]] के वातावरण के थर्मोस्फ़ीयर के [[परमाणु]] से टकराने से होती है। | ||
*जब सूर्य पर सौर गतिविधियाँ अपने चरम पर होती हैं, तब यह ज्योतियाँ भी अपने चरम पर पहुँच जाती हैं। | *जब सूर्य पर सौर गतिविधियाँ अपने चरम पर होती हैं, तब यह ज्योतियाँ भी अपने चरम पर पहुँच जाती हैं। |
Latest revision as of 12:53, 29 May 2012
उत्तर ध्रुवीय ज्योति उत्तरी गोलार्द्ध में दिखाई देने वाली ध्रुवीय ज्योति को कहते हैं। सामान्यतया यह ज्योति उत्तरी अमेरिका एवं यूरोप के उत्तरी भागों में उच्चावच अक्षांशीय क्षेत्रों में दिखाई पड़ती है।
- उत्तरी अक्षांशों की ध्रुवीय ज्योति को 'सुमेरु ज्योति' या 'उत्तर ध्रुवीय ज्योति' कहा जाता है।
- उत्तर ध्रुवीय ज्योति को 'औरोरा बोरियालिस' के नाम से भी जानते हैं।
- इनकी उत्पत्ति सौर वायु, सूर्य से प्रवाहित आवेशित एवं उच्च ऊर्जा वाले कणो की धारा, के पृथ्वी के वातावरण के थर्मोस्फ़ीयर के परमाणु से टकराने से होती है।
- जब सूर्य पर सौर गतिविधियाँ अपने चरम पर होती हैं, तब यह ज्योतियाँ भी अपने चरम पर पहुँच जाती हैं।
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