मुरिया नृत्य: Difference between revisions
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'''मुरिया नृत्य''' [[छत्तीसगढ़]] राज्य में निवास करने वाली मुरिया जनजाति द्वारा किया जाता है। मुरिया लोगों के मुख्य पर्व और त्योहारों में नवाखनी, चाड़ जात्रा और सेशा आदि प्रमुख हैं। इन लोगों के [[कला]] रूपों में मुख्य रूप से गीत नृत्य शामिल हैं। प्रत्येक व्यक्ति नृत्य के साथ-साथ नृत्य गीत में भी पारंगत होता है। अधिकतर [[नृत्य]] गीत किसी न किसी रीति-रिवाज या मान्यताओं से जुड़े होते हैं। | '''मुरिया नृत्य''' [[छत्तीसगढ़]] राज्य में निवास करने वाली मुरिया जनजाति द्वारा किया जाता है। मुरिया लोगों के मुख्य पर्व और त्योहारों में नवाखनी, चाड़ जात्रा और सेशा आदि प्रमुख हैं। इन लोगों के [[कला]] रूपों में मुख्य रूप से गीत नृत्य शामिल हैं। प्रत्येक व्यक्ति नृत्य के साथ-साथ नृत्य गीत में भी पारंगत होता है। अधिकतर [[नृत्य]] गीत किसी न किसी रीति-रिवाज या मान्यताओं से जुड़े होते हैं। | ||
*मुरिया जाति को 'घोटुल' के कारण भी जाना जाता है। घोटुल मुरिया युवकों की एक संगठन व्यवस्था का नाम है। | *मुरिया जाति को 'घोटुल' के कारण भी जाना जाता है। घोटुल मुरिया युवकों की एक संगठन व्यवस्था का नाम है। | ||
*घोटुल एक प्रकार का प्रशिक्षण केन्द्र होता है। इसके सदस्य घोटुल में और घोटुल के बाहर भी नृत्य गीत प्रस्तुत करने जाते हैं। | *घोटुल एक प्रकार का प्रशिक्षण केन्द्र होता है। इसके सदस्य घोटुल में और घोटुल के बाहर भी नृत्य गीत प्रस्तुत करने जाते हैं। | ||
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[[चित्र:Muria-Dance.jpg|thumb|250px|मुरिया नृत्य, छत्तीसगढ़]] मुरिया नृत्य छत्तीसगढ़ राज्य में निवास करने वाली मुरिया जनजाति द्वारा किया जाता है। मुरिया लोगों के मुख्य पर्व और त्योहारों में नवाखनी, चाड़ जात्रा और सेशा आदि प्रमुख हैं। इन लोगों के कला रूपों में मुख्य रूप से गीत नृत्य शामिल हैं। प्रत्येक व्यक्ति नृत्य के साथ-साथ नृत्य गीत में भी पारंगत होता है। अधिकतर नृत्य गीत किसी न किसी रीति-रिवाज या मान्यताओं से जुड़े होते हैं।
- मुरिया जाति को 'घोटुल' के कारण भी जाना जाता है। घोटुल मुरिया युवकों की एक संगठन व्यवस्था का नाम है।
- घोटुल एक प्रकार का प्रशिक्षण केन्द्र होता है। इसके सदस्य घोटुल में और घोटुल के बाहर भी नृत्य गीत प्रस्तुत करने जाते हैं।
- मुरिया लोगो के मुख्य पर्व-त्यौहारों में नवाखनी, चाड़ जात्रा और सेशा मुख्य रूप से प्रमुख हैं।
- प्रत्येक नृत्य गीत किसी न किसी रीति-रिवाज, मान्यता अथवा सामाजिक धार्मिक उत्सव से अवश्य जुडे़ होते हैं और लगभग प्रत्येक नृत्य गीत से पूरा समुदाय सम्बद्ध होता है।
- दीवाड़ पाटा, चेरहे पाटा, चेतांग पाटा, डीमके पाटा, पारी पाटा, माओ पाटा, डोल पाटा, ककसार पाटा, गोटुल पाटा, कोडा पाटा, हुलकी पाटा, कोलांग पाटा, डिटींग पाटा आदि नृत्य गीत विभिन्न अवसरों पर मुरिया लोगों के प्रमुख नृत्य गीतों में से हैं।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख