महमूद तुग़लक़: Difference between revisions

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*15 दिन तक दिल्ली में रहने के पश्चात् तैमूर वापस चला गया और [[ख़िज़्र ख़ाँ]] को अपने विजित प्रदेशों का राज्यपाल नियुक्त किया।
*15 दिन तक दिल्ली में रहने के पश्चात् तैमूर वापस चला गया और [[ख़िज़्र ख़ाँ]] को अपने विजित प्रदेशों का राज्यपाल नियुक्त किया।
*एक मान्यता के अनुसार तैमूर आक्रमण के बाद [[दिल्ली सल्तनत]] का विस्तार सिमट कर पालम तक ही रह गया था।
*एक मान्यता के अनुसार तैमूर आक्रमण के बाद [[दिल्ली सल्तनत]] का विस्तार सिमट कर पालम तक ही रह गया था।
*तैमूर के वापस जाने के पश्चात् महमूद तुग़लक़ ने अपने वजीर मल्लू इमबार की सहायता से पुन: दिल्ली सिंहासन पर अधिकार कर लिया, पर कालान्तर में मल्लू इकबाल मुल्तान के सूबेदार ख़िज़्र ख़ाँ से युद्ध करते हुए मारा गया।
*तैमूर के वापस जाने के पश्चात् महमूद तुग़लक़ ने अपने वजीर मल्लू इमबार की सहायता से पुन: दिल्ली सिंहासन पर अधिकार कर लिया, पर कालान्तर में मल्लू इक़बाल मुल्तान के सूबेदार ख़िज़्र ख़ाँ से युद्ध करते हुए मारा गया।
*मल्लू इकबाल के मरने के बाद सुल्तान ने दिल्ली की सत्ता एक [[अफ़ग़ान]] सरदार [[दौलत ख़ाँ लोदी]] को सौंप दी।
*मल्लू इक़बाल के मरने के बाद सुल्तान ने दिल्ली की सत्ता एक [[अफ़ग़ान]] सरदार [[दौलत ख़ाँ लोदी]] को सौंप दी।
*1412 ई. में महमूद तुग़लक़ की मृत्यु हो गई।
*1412 ई. में महमूद तुग़लक़ की मृत्यु हो गई।
*1413 ई. में [[दिल्ली]] सिंहासन के लिए दौलत ख़ाँ लोदी एवं ख़िज़्र ख़ाँ ने दिल्ली की गद्दी पर अधिकार कर एक नये राजवंश ‘[[सैय्यद वंश]]’ की स्थापना की।
*1413 ई. में [[दिल्ली]] सिंहासन के लिए दौलत ख़ाँ लोदी एवं ख़िज़्र ख़ाँ ने दिल्ली की गद्दी पर अधिकार कर एक नये राजवंश ‘[[सैय्यद वंश]]’ की स्थापना की।

Revision as of 14:42, 31 July 2014

  • महमूद तुग़लक़ (1399-1413 ई.) दिल्ली के तुग़लक़ वंश का अंतिम सुल्तान था।
  • उसके राज्यकाल में अनवरत संघर्ष चलते रहे और दुरावस्था अपनी चरम सीमा पर पहुँच गयी।
  • महमूद तुग़लक़ के समय तक दिल्ली सल्तनत से दक्षिण भारत, बंगाल, ख़ानदेश, गुजरात, मालवा, राजस्थान, बुन्देलखण्ड आदि प्रान्त स्वतन्त्र गये थे।
  • महमूद तुग़लक़ के समय में मलिक सरवर नाम के एक हिजड़े ने सुल्तान से ‘मलिक-उस-र्शक’ (पूर्वाधिपति) की उपाधि ग्रहण कर जौनपुर में स्वतन्त्र राज्य की स्थापना की।
  • महमूद तुग़लक़ का शासन इस समय दिल्ली से पालम (निकटवर्ती कुछ ज़िलों) तक ही सीमित रह गया था।
  • इस समय नसरत शाह तुग़लक़ एवं महमूद तुग़लक़ ने एक साथ शासन किया।
  • महमूद तुग़लक़ ने दिल्ली से तथा नुसरत शाह ने फिरोजाबाद से अपने शासन का संचालन किया।
  • महमूद तुग़लक़ के समय में तैमूर लंग ने 1398 ई. में दिल्ली पर आक्रमण किया। एक पैर से लंगड़ा होने के कारण उसका नाम ‘तैमूर लंग’ पड़ गया था।
  • तैमूर के आक्रमण से डरकर दोनों सुल्तान राजधानी से भाग गये।
  • 15 दिन तक दिल्ली में रहने के पश्चात् तैमूर वापस चला गया और ख़िज़्र ख़ाँ को अपने विजित प्रदेशों का राज्यपाल नियुक्त किया।
  • एक मान्यता के अनुसार तैमूर आक्रमण के बाद दिल्ली सल्तनत का विस्तार सिमट कर पालम तक ही रह गया था।
  • तैमूर के वापस जाने के पश्चात् महमूद तुग़लक़ ने अपने वजीर मल्लू इमबार की सहायता से पुन: दिल्ली सिंहासन पर अधिकार कर लिया, पर कालान्तर में मल्लू इक़बाल मुल्तान के सूबेदार ख़िज़्र ख़ाँ से युद्ध करते हुए मारा गया।
  • मल्लू इक़बाल के मरने के बाद सुल्तान ने दिल्ली की सत्ता एक अफ़ग़ान सरदार दौलत ख़ाँ लोदी को सौंप दी।
  • 1412 ई. में महमूद तुग़लक़ की मृत्यु हो गई।
  • 1413 ई. में दिल्ली सिंहासन के लिए दौलत ख़ाँ लोदी एवं ख़िज़्र ख़ाँ ने दिल्ली की गद्दी पर अधिकार कर एक नये राजवंश ‘सैय्यद वंश’ की स्थापना की।


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