चंद्र पर्वत: Difference between revisions
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'''चंद्र पर्वत''' को [[हर्षचरित]] के प्रथमोच्छ्वास में महाकवि [[बाणभट्ट]] ने शोण नदी ( | '''चंद्र पर्वत''' को [[हर्षचरित]] के प्रथमोच्छ्वास में महाकवि [[बाणभट्ट]] ने [[शोण नदी]] (सोन नदी) का उद्गम स्थल माना है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=316|url=}}</ref> | ||
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Latest revision as of 06:06, 27 August 2014
चंद्र पर्वत को हर्षचरित के प्रथमोच्छ्वास में महाकवि बाणभट्ट ने शोण नदी (सोन नदी) का उद्गम स्थल माना है।[1]
- भौगोलिक तथ्य यह है कि नर्मदा और शोण (या सोन) दोनों ही नदियाँ विंध्याचल के अमरकंटक पर्वत से निकली हैं। इसी को चंद्र या सोमपर्वत कहते थे, क्योंकि नर्मदा का एक नाम सोमद्भवा भी है।
- विष्णुपुराण के अनुसार चंद्र पर्वत को प्लक्ष द्वीप का एक मर्यादा पर्वत बताया गया है-
'गोमोदश्चैव चंद्रश्च नारदो दुंदभिस्तथा, सोमक: सुमनाश्चैव वैभ्राजश्चेव सप्तम:'[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 316 |
- ↑ विष्णुपुराण 2, 4, 7.