कर्णघण्टा सरोवर, वाराणसी: Difference between revisions

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'''कर्णघण्टा सरोवर''' [[उत्तर प्रदेश]] राज्य के [[वाराणसी]] नगर में स्थित है। नीचीबाग से बुलानाला जाने वाले मार्ग में यह सरोवर स्थित है। इस समय यह विलुप्त होने की कगार पर है। इस सरोवर पर [[गुरु पूर्णिमा]] पर यहां स्थित शिवलिंग और महर्षि [[वेदव्यास]] की मूर्ति की [[पूजा]] की जाती है। पूरे वर्ष ये मूर्तियां कुण्ड के [[जल]] में डूबी रहती हैं। गुरु पूर्णिमा के दिन नगर निगम पंप से सरोवर का पानी खाली कर देता है। इस कुण्ड पर ही [[तुलसीदास]] जी ने प्रथम हनुमान मंदिर बनाया। जिसे कोढ़ियाबीर हनुमान के नाम से जाना जाता है।
'''कर्णघण्टा सरोवर''' [[उत्तर प्रदेश]] राज्य के [[वाराणसी]] नगर में स्थित है। नीचीबाग से बुलानाला जाने वाले मार्ग में यह सरोवर स्थित है। इस समय यह विलुप्त होने की कगार पर है। इस सरोवर पर [[गुरु पूर्णिमा]] पर यहां स्थित शिवलिंग और महर्षि [[वेदव्यास]] की मूर्ति की [[पूजा]] की जाती है। पूरे वर्ष ये मूर्तियां कुण्ड के [[जल]] में डूबी रहती हैं। गुरु पूर्णिमा के दिन नगर निगम पंप से सरोवर का पानी ख़ाली कर देता है। इस कुण्ड पर ही [[तुलसीदास]] जी ने प्रथम हनुमान मंदिर बनाया। जिसे कोढ़ियाबीर हनुमान के नाम से जाना जाता है।


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[[चित्र:Karnaghanta-pond-varanasi.jpg|thumb|कर्णघण्टा सरोवर, वाराणसी]] कर्णघण्टा सरोवर उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी नगर में स्थित है। नीचीबाग से बुलानाला जाने वाले मार्ग में यह सरोवर स्थित है। इस समय यह विलुप्त होने की कगार पर है। इस सरोवर पर गुरु पूर्णिमा पर यहां स्थित शिवलिंग और महर्षि वेदव्यास की मूर्ति की पूजा की जाती है। पूरे वर्ष ये मूर्तियां कुण्ड के जल में डूबी रहती हैं। गुरु पूर्णिमा के दिन नगर निगम पंप से सरोवर का पानी ख़ाली कर देता है। इस कुण्ड पर ही तुलसीदास जी ने प्रथम हनुमान मंदिर बनाया। जिसे कोढ़ियाबीर हनुमान के नाम से जाना जाता है।


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