कोटि तीर्थ मथुरा: Difference between revisions
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*प्रसिद्ध गोकर्ण ने अपने भाई धुंधुकारी को श्रीमद्भागवत की कथा सुनाकर उसका प्रेमयोनि से उद्धार किया था । | *प्रसिद्ध [[गोकर्ण]] ने अपने भाई धुंधुकारी को श्रीमद्भागवत की कथा सुनाकर उसका प्रेमयोनि से उद्धार किया था । | ||
*उन्हीं गोकर्ण की भगवद् आराधना का यह स्थल है । | *उन्हीं गोकर्ण की भगवद् आराधना का यह स्थल है । | ||
<blockquote>तत्रैव कोटितीर्थ तु देवानामपि दुर्ल्लभम् ।<br /> | <blockquote>तत्रैव कोटितीर्थ तु देवानामपि दुर्ल्लभम् ।<br /> |
Revision as of 11:08, 20 August 2010
- यहाँ स्नान करने से मनुष्य कोटि–कोटि गोदान का फल प्राप्त करता है । पास ही में गोकर्ण तीर्थ है ।
- प्रसिद्ध गोकर्ण ने अपने भाई धुंधुकारी को श्रीमद्भागवत की कथा सुनाकर उसका प्रेमयोनि से उद्धार किया था ।
- उन्हीं गोकर्ण की भगवद् आराधना का यह स्थल है ।
तत्रैव कोटितीर्थ तु देवानामपि दुर्ल्लभम् ।
तत्र स्नानेन दानेन मम लोके महीयते ।।
चक्रतीर्थं तु विख्यातं माथुरे मम मण्डले ।
यस्तत्र कुरुते स्नानं त्रिरात्रोपोषितो नर: ।
स्नानमात्रेण मनुजो मुख्यते ब्रह्महत्यया ।।