पठए बालि होहिं मन मैला: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
Line 34: Line 34:
पठए बालि होहिं मन मैला। भागौं तुरत तजौं यह सैला॥
पठए बालि होहिं मन मैला। भागौं तुरत तजौं यह सैला॥
बिप्र रूप धरि कपि तहँ गयऊ। माथ नाइ पूछत अस भयऊ॥3॥
बिप्र रूप धरि कपि तहँ गयऊ। माथ नाइ पूछत अस भयऊ॥3॥
;भावार्थ
यदि वे मन के मलिन बालि के भेजे हुए हों तो मैं तुरंत ही इस पर्वत को छोड़कर भाग जाऊँ (यह सुनकर) हनुमान्‌जी ब्राह्मण का रूप धरकर वहाँ गए और मस्तक नवाकर इस प्रकार पूछने लगे-॥3॥
</poem>
</poem>
{{poemclose}}
{{poemclose}}


;भावार्थ
यदि वे मन के मलिन बालि के भेजे हुए हों तो मैं तुरंत ही इस [[पर्वत]] को छोड़कर भाग जाऊँ (यह सुनकर) [[हनुमान|हनुमान्‌जी]] [[ब्राह्मण]] का रूप धरकर वहाँ गए और मस्तक नवाकर इस प्रकार पूछने लगे-॥3॥


{{लेख क्रम4| पिछला=अति सभीत कह सुनु हनुमाना |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=को तुम्ह स्यामल गौर सरीरा}}
{{लेख क्रम4| पिछला=अति सभीत कह सुनु हनुमाना |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=को तुम्ह स्यामल गौर सरीरा}}

Latest revision as of 08:34, 17 May 2016

पठए बालि होहिं मन मैला
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली चौपाई और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड किष्किंधा काण्ड
चौपाई

पठए बालि होहिं मन मैला। भागौं तुरत तजौं यह सैला॥
बिप्र रूप धरि कपि तहँ गयऊ। माथ नाइ पूछत अस भयऊ॥3॥

भावार्थ

यदि वे मन के मलिन बालि के भेजे हुए हों तो मैं तुरंत ही इस पर्वत को छोड़कर भाग जाऊँ (यह सुनकर) हनुमान्‌जी ब्राह्मण का रूप धरकर वहाँ गए और मस्तक नवाकर इस प्रकार पूछने लगे-॥3॥


left|30px|link=अति सभीत कह सुनु हनुमाना|पीछे जाएँ पठए बालि होहिं मन मैला right|30px|link=को तुम्ह स्यामल गौर सरीरा|आगे जाएँ

चौपाई- चौपाई मात्रिक सम छन्द का एक भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख