लछिमन कर प्रथमहिं लै नामा: Difference between revisions
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Latest revision as of 08:22, 24 May 2016
लछिमन कर प्रथमहिं लै नामा
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कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | अरण्यकाण्ड |
लछिमन कर प्रथमहिं लै नामा। पाछें सुमिरेसि मन महुँ रामा॥ |
- भावार्थ
पहले लक्ष्मण का नाम लेकर उसने पीछे मन में राम का स्मरण किया। प्राण त्याग करते समय उसने अपना (राक्षसी) शरीर प्रकट किया और प्रेम सहित राम का स्मरण किया।॥8॥
left|30px|link=प्रगटत दुरत करत छल भूरी|पीछे जाएँ | लछिमन कर प्रथमहिं लै नामा | right|30px|link=अंतर प्रेम तासु पहिचाना|आगे जाएँ |
चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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