नीलोत्पल तन स्याम काम: Difference between revisions
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नीलोत्पल तन स्याम काम कोटि सोभा अधिक। | नीलोत्पल तन स्याम काम कोटि सोभा अधिक। | ||
सुनिअ तासु गुन ग्राम जासु नाम अघ खग बधिक॥30 ख॥ | सुनिअ तासु गुन ग्राम जासु नाम अघ खग बधिक॥30 ख॥ |
Latest revision as of 04:05, 2 June 2016
नीलोत्पल तन स्याम काम
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कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | सोरठा, चौपाई, छन्द और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | किष्किंधा काण्ड |
नीलोत्पल तन स्याम काम कोटि सोभा अधिक। |
- भावार्थ
जिनका नीले कमल के समान श्याम शरीर है, जिनकी शोभा करोड़ों कामदेवों से भी अधिक है और जिनका नाम पापरूपी पक्षियों को मारने के लिए बधिक (व्याधा) के समान है, उन श्री राम के गुणों के समूह (लीला) को अवश्य सुनना चाहिए॥30 (ख)॥
इति श्रीमद्रामचरितमानसे सकलकलिकलुषविध्वंसने चतुर्थ: सोपानः समाप्त :।
कलियुग के समस्त पापों के नाश करने वाले श्री रामचरित् मानस का यह चौथा सोपान समाप्त हुआ।
left|30px|link=भव भेषज रघुनाथ जसु|पीछे जाएँ | नीलोत्पल तन स्याम काम | right|30px|link=रामचरितमानस पंचम सोपान (सुंदरकाण्ड)|आगे जाएँ |
चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।
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