जुगुति बिभीषन सकल सुनाई: Difference between revisions
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Latest revision as of 08:40, 7 June 2016
जुगुति बिभीषन सकल सुनाई
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कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | चौपाई और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | सुन्दरकाण्ड |
- हनुमान जी का अशोक वाटिका में सीताजी को देकर दुःखी होना और रावण का सीताजी को भय दिखलाना
जुगुति बिभीषन सकल सुनाई। चलेउ पवन सुत बिदा कराई॥ |
- भावार्थ
विभीषणजी ने (माता के दर्शन की) सब युक्तियाँ (उपाय) कह सुनाईं। तब हनुमान्जी विदा लेकर चले। फिर वही (पहले का मसक सरीखा) रूप धरकर वहाँ गए, जहाँ अशोक वन में (वन के जिस भाग में) सीताजी रहती थीं॥3॥
left|30px|link=पुनि सब कथा बिभीषन कही|पीछे जाएँ | जुगुति बिभीषन सकल सुनाई | right|30px|link=देखि मनहि महुँ कीन्ह प्रनामा|आगे जाएँ |
चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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