बारहिं बार जोरि जुग पानी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(' {{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
Line 1: Line 1:
{{सूचना बक्सा पुस्तक
{{सूचना बक्सा पुस्तक
|चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg
|चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg
Line 34: Line 33:
<poem>
<poem>
;चौपाई
;चौपाई
बारहिं बार जोरि जुग पानी। कहत रामु सब सन मृदु बानी॥
मातु सकल मोरे बिरहँ जेहिं न होहिं दुख दीन।
सोइ सब भाँति मोर हितकारी। जेहि तें रहै भुआल सुखारी॥4॥</poem
सोइ उपाउ तुम्ह करेहु सब पुर जन परम प्रबीन॥80॥</poem
{{poemclose}}
{{poemclose}}


;भावार्थ
;भावार्थ
श्री [[रामचन्द्र|रामचन्द्रजी]] बार-बार दोनों हाथ जोड़कर सबसे कोमल वाणी कहते हैं कि मेरा सब प्रकार से हितकारी मित्र वही होगा, जिसकी चेष्टा से महाराज सुखी रहें॥4॥
हे परम चतुर पुरवासी सज्जनों! आप लोग सब वही उपाए कीजिएगा, जिससे मेरी सब माताएँ मेरे विरह के दुःख से दुःखी न हों॥80॥


{{लेख क्रम4| पिछला=दासीं दास बोलाइ बहोरी |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला= मातु सकल मोरे बिरहँ }}
{{लेख क्रम4| पिछला=दासीं दास बोलाइ बहोरी|मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला= एहि बिधि राम सबहि समुझावा}}





Revision as of 08:08, 11 June 2016

बारहिं बार जोरि जुग पानी
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली चौपाई, सोरठा, छन्द और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड अयोध्या काण्ड

<poem>

चौपाई

मातु सकल मोरे बिरहँ जेहिं न होहिं दुख दीन। सोइ उपाउ तुम्ह करेहु सब पुर जन परम प्रबीन॥80॥</poem

भावार्थ

हे परम चतुर पुरवासी सज्जनों! आप लोग सब वही उपाए कीजिएगा, जिससे मेरी सब माताएँ मेरे विरह के दुःख से दुःखी न हों॥80॥


left|30px|link=दासीं दास बोलाइ बहोरी|पीछे जाएँ बारहिं बार जोरि जुग पानी right|30px|link=एहि बिधि राम सबहि समुझावा|आगे जाएँ


चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।




पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख