उत्तर दिसि सरजू बह: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
Line 37: Line 37:
{{poemclose}}
{{poemclose}}
;भावार्थ
;भावार्थ
नगर के उत्तर दिशा में सरयूजी बह रही हैं, जिनका जल निर्मल और गहरा है। मनोहर घाट बँधे हुए हैं, किनारे पर जरा भी कीचड़ नहीं है॥28॥  
नगर के उत्तर दिशा में सरयूजी बह रही हैं, जिनका [[जल]] निर्मल और गहरा है। मनोहर घाट बँधे हुए हैं, किनारे पर जरा भी कीचड़ नहीं है॥28॥  
{{लेख क्रम4| पिछला=बाजार रुचिर न बनइ बरनत |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=दूरि फराक रुचिर सो घाटा}}
{{लेख क्रम4| पिछला=बाजार रुचिर न बनइ बरनत |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=दूरि फराक रुचिर सो घाटा}}



Revision as of 10:01, 14 June 2016

उत्तर दिसि सरजू बह
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली सोरठा, चौपाई, छन्द और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड उत्तरकाण्ड
दोहा

उत्तर दिसि सरजू बह निर्मल जल गंभीर।
बाँधे घाट मनोहर स्वल्प पंक नहिं तीर॥28॥

भावार्थ

नगर के उत्तर दिशा में सरयूजी बह रही हैं, जिनका जल निर्मल और गहरा है। मनोहर घाट बँधे हुए हैं, किनारे पर जरा भी कीचड़ नहीं है॥28॥


left|30px|link=बाजार रुचिर न बनइ बरनत|पीछे जाएँ उत्तर दिसि सरजू बह right|30px|link=दूरि फराक रुचिर सो घाटा|आगे जाएँ

दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख