गहिसि पूँछ कपि सहित उड़ाना: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
सपना वर्मा (talk | contribs) ('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
सपना वर्मा (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 34: | Line 34: | ||
<poem> | <poem> | ||
;चौपाई | ;चौपाई | ||
गहिसि पूँछ कपि सहित उड़ाना। पुनि फिरि भिरेउ प्रबल हनुमाना॥ | |||
लरत अकास जुगल सम जोधा। एकहि एकु हनत करि क्रोधा॥ | लरत अकास जुगल सम जोधा। एकहि एकु हनत करि क्रोधा॥ | ||
</poem> | </poem> |
Latest revision as of 07:34, 16 July 2016
गहिसि पूँछ कपि सहित उड़ाना
| |
कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | 'रामचरितमानस' |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि। |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | दोहा, चौपाई, छंद और सोरठा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | लंकाकाण्ड |
सभी (7) काण्ड क्रमश: | बालकाण्ड, अयोध्या काण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किंधा काण्ड, सुंदरकाण्ड, लंकाकाण्ड, उत्तरकाण्ड |
गहिसि पूँछ कपि सहित उड़ाना। पुनि फिरि भिरेउ प्रबल हनुमाना॥ |
- भावार्थ
रावण ने पूँछ पकड़ ली, हनुमान उसको साथ लिए ऊपर उड़े। फिर लौटकर महाबलवान हनुमान उससे भिड़ गए। दोनों समान योद्धा आकाश में लड़ते हुए एक-दूसरे को क्रोध करके मारने लगे।
left|30px|link=ठाढ़ रहा अति कंपित गाता|पीछे जाएँ | गहिसि पूँछ कपि सहित उड़ाना | right|30px|link=सोहहिं नभ छल बल बहु करहीं|आगे जाएँ |
चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
पुस्तक- श्रीरामचरितमानस (लंकाकाण्ड) |प्रकाशक- गीताप्रेस, गोरखपुर |संकलन- भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|पृष्ठ संख्या-450
संबंधित लेख