कंद मूल फल सुरस अति: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
Line 1: Line 1:
<h4 style="text-align:center;">रामचरितमानस तृतीय सोपान (अरण्य काण्ड) : शबरी पर कृपा</h4>
{{सूचना बक्सा पुस्तक
{{सूचना बक्सा पुस्तक
|चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg
|चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg
Line 29: Line 30:
|टिप्पणियाँ =  
|टिप्पणियाँ =  
}}
}}
;शबरीपर कृपा
{{poemopen}}
{{poemopen}}
<poem>
<poem>

Latest revision as of 13:41, 28 July 2016

रामचरितमानस तृतीय सोपान (अरण्य काण्ड) : शबरी पर कृपा

कंद मूल फल सुरस अति
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड अरण्यकाण्ड
दोहा

कंद मूल फल सुरस अति दिए राम कहुँ आनि।
प्रेम सहित प्रभु खाए बारंबार बखानि॥34॥

भावार्थ

उन्होंने अत्यंत रसीले और स्वादिष्ट कन्द, मूल और फल लाकर श्री रामजी को दिए। प्रभु ने बार-बार प्रशंसा करके उन्हें प्रेम सहित खाया॥34॥



left|30px|link=प्रेम मगन मुख बचन न आवा|पीछे जाएँ कंद मूल फल सुरस अति right|30px|link=पानि जोरि आगें भइ ठाढ़ी|आगे जाएँ


दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख