कपिपति बेगि बोलाए: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<h4 style="text-align:center;">रामचरितमानस पंचम सोपान (सुंदर काण्ड) : | <h4 style="text-align:center;">रामचरितमानस पंचम सोपान (सुंदर काण्ड) : लंका के लिये प्रस्थान</h4> | ||
{{सूचना बक्सा पुस्तक | {{सूचना बक्सा पुस्तक | ||
|चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg | |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |
Latest revision as of 14:24, 28 July 2016
रामचरितमानस पंचम सोपान (सुंदर काण्ड) : लंका के लिये प्रस्थान
कपिपति बेगि बोलाए
| |
कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | चौपाई, दोहा, छंद और सोरठा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | सुन्दरकाण्ड |
कपिपति बेगि बोलाए आए जूथप जूथ। |
- भावार्थ
वानरराज सुग्रीव ने शीघ्र ही वानरों को बुलाया, सेनापतियों के समूह आ गए। वानर-भालुओं के झुंड अनेक रंगों के हैं और उनमें अतुलनीय बल है॥34॥
left|30px|link=अब बिलंबु केह कारन कीजे|पीछे जाएँ | कपिपति बेगि बोलाए | right|30px|link=प्रभु पद पंकज नावहिं सीसा|आगे जाएँ |
दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख