रउरे अंग जोगु जग को है: Difference between revisions

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आपका सहायक होने योग्य जगत में कौन है? दीपक सूर्य की सहायता करने जाकर कहीं शोभा पा सकता है? श्री रामचन्द्रजी वन में जाकर देवताओं का कार्य करके अवधपुरी में अचल राज्य करेंगे॥3॥
आपका सहायक होने योग्य जगत् में कौन है? दीपक सूर्य की सहायता करने जाकर कहीं शोभा पा सकता है? श्री रामचन्द्रजी वन में जाकर देवताओं का कार्य करके अवधपुरी में अचल राज्य करेंगे॥3॥
{{लेख क्रम4| पिछला= प्रभु अपने नीचहु आदरहीं |मुख्य शर्षक=रामचरितमानस |अगला=अमर नाग नर राम बाहुबल}}
{{लेख क्रम4| पिछला= प्रभु अपने नीचहु आदरहीं |मुख्य शर्षक=रामचरितमानस |अगला=अमर नाग नर राम बाहुबल}}



Latest revision as of 13:46, 30 June 2017

रउरे अंग जोगु जग को है
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली चौपाई, सोरठा, छन्द और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड अयोध्या काण्ड
सभी (7) काण्ड क्रमश: बालकाण्ड‎, अयोध्या काण्ड‎, अरण्यकाण्ड, किष्किंधा काण्ड‎, सुंदरकाण्ड, लंकाकाण्ड‎, उत्तरकाण्ड
चौपाई

 रउरे अंग जोगु जग को है। दीप सहाय की दिनकर सोहै॥
रामु जाइ बनु करि सुर काजू। अचल अवधपुर करिहहिं राजू॥3॥

भावार्थ

आपका सहायक होने योग्य जगत् में कौन है? दीपक सूर्य की सहायता करने जाकर कहीं शोभा पा सकता है? श्री रामचन्द्रजी वन में जाकर देवताओं का कार्य करके अवधपुरी में अचल राज्य करेंगे॥3॥


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चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

पुस्तक- श्रीरामचरितमानस (अयोध्याकाण्ड) |प्रकाशक- गीताप्रेस, गोरखपुर |संकलन- भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|पृष्ठ संख्या-299

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