एक बार त्रेता जुग माहीं: Difference between revisions

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एक बार त्रेता युग में शिव अगस्त्य ऋषि के पास गए। उनके साथ जगज्जननी भवानी सती भी थीं। ऋषि ने संपूर्ण जगत के ईश्वर जानकर उनका पूजन किया।
एक बार त्रेता युग में शिव अगस्त्य ऋषि के पास गए। उनके साथ जगज्जननी भवानी सती भी थीं। ऋषि ने संपूर्ण जगत् के ईश्वर जानकर उनका पूजन किया।


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Latest revision as of 13:56, 30 June 2017

एक बार त्रेता जुग माहीं
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
चौपाई

एक बार त्रेता जुग माहीं। संभु गए कुंभज रिषि पाहीं॥
संग सती जगजननि भवानी। पूजे रिषि अखिलेस्वर जानी॥

भावार्थ-

एक बार त्रेता युग में शिव अगस्त्य ऋषि के पास गए। उनके साथ जगज्जननी भवानी सती भी थीं। ऋषि ने संपूर्ण जगत् के ईश्वर जानकर उनका पूजन किया।


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चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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