राम नाम सिव सुमिरन लागे: Difference between revisions
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Latest revision as of 14:17, 30 June 2017
राम नाम सिव सुमिरन लागे
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कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
भाषा | अवधी भाषा |
शैली | सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | बालकाण्ड |
राम नाम सिव सुमिरन लागे। जानेउ सतीं जगतपति जागे॥ |
- भावार्थ-
शिव रामनाम का स्मरण करने लगे, तब सती ने जाना कि अब जगत् के स्वामी (शिव) जागे। उन्होंने जाकर शिव के चरणों में प्रणाम किया। शिव ने उनको बैठने के लिए सामने आसन दिया।
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चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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