जुथिका रॉय: Difference between revisions
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==जीवन परिचय== | ==जीवन परिचय== | ||
जुथिका रॉय का जन्म संयुक्त बंगाल के [[हावड़ा ज़िला|हावड़ा ज़िले]] के आमता नामक स्थान पर [[20 अप्रैल]], [[1920]] में हुआ। जुथिका रॉय ने छोटी आयु में ही गाना आरम्भ कर दिया था। जुथिका रॉय को ख्याति 1930 में मिली। इन्हें [[मीरा]] के मधुर भजनों के लिए 'आधुनिक मीरा' के नाम से भी जाना जाता था। वे जब 12 साल की थीं तब उन्होंने अपना पहला एलबम 1932 में रिकॉर्ड किया था। जुथिका रॉय की प्रतिभा को कवि काजी नज़रुल इस्लाम और बंगाली संगीत निर्देशक कमल दास गुप्ता ने पहचाना था और ये दोनों ही उनके संरक्षक रहे। [[1940]] व [[1950]] में ये देश के चुनिंदा गायिकाओं में से एक थीं। इनके भजन 'घुंघट के पट खोल' और 'पग घंघरू बांध मीरा नाची' | जुथिका रॉय का जन्म संयुक्त बंगाल के [[हावड़ा ज़िला|हावड़ा ज़िले]] के आमता नामक स्थान पर [[20 अप्रैल]], [[1920]] में हुआ। जुथिका रॉय ने छोटी आयु में ही गाना आरम्भ कर दिया था। जुथिका रॉय को ख्याति 1930 में मिली। इन्हें [[मीरा]] के मधुर भजनों के लिए 'आधुनिक मीरा' के नाम से भी जाना जाता था। वे जब 12 साल की थीं तब उन्होंने अपना पहला एलबम 1932 में रिकॉर्ड किया था। जुथिका रॉय की प्रतिभा को कवि काजी नज़रुल इस्लाम और बंगाली संगीत निर्देशक कमल दास गुप्ता ने पहचाना था और ये दोनों ही उनके संरक्षक रहे। [[1940]] व [[1950]] में ये देश के चुनिंदा गायिकाओं में से एक थीं। इनके भजन 'घुंघट के पट खोल' और 'पग घंघरू बांध मीरा नाची' काफ़ी लोकप्रिय थे। उन्हें 1972 में [[पद्मश्री]] से सम्मानित किया गया था। [[15 अगस्त]] [[1947]] को [[भारत]] के पहले [[स्वतंत्रता दिवस]] पर [[जवाहरलाल नेहरू|नेहरूजी]] ने झंडा फहराने के साथ उन्हें रेडियो पर लगातार गाने की विनती की थी। उन्हें नेहरू जी ने कहा था कि वे जब तक [[लाल क़िला दिल्ली|लाल क़िले]] पहुंचे और [[तिरंगा]] झंडा फहराएं तब तक वे गाती रहें। यहीं नहीं [[महात्मा गाँधी|गांधीजी]] जब [[पुणे]] की जेल में थे तब उनके गाने हर दिन सुनते थे। वे हर सुबह प्रार्थना सभा की शुरूआत उनके ही गाने बजाकर करते थे। जुथिका रॉय ने दो बंगाली फिल्म 'धुली' और 'रतनदीप' में अपनी मधुर आवाज़ भी दी है। | ||
==प्रसिद्ध गीत== | ==प्रसिद्ध गीत== | ||
* घुंघट के पट खोल | * घुंघट के पट खोल |
Revision as of 11:01, 5 July 2017
जुथिका रॉय
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पूरा नाम | जुथिका रॉय |
जन्म | 20 अप्रैल, 1920 |
जन्म भूमि | आमता, हावड़ा ज़िला (बंगाल) |
मृत्यु | 5 फ़रवरी, 2014 (93 वर्ष) |
मृत्यु स्थान | कोलकाता, पश्चिम बंगाल |
कर्म-क्षेत्र | भजन गायिका |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म श्री |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्ध गीत | घुंघट के पट खोल, पग घुंघुरू बांध मीरा नाची, मैं तो वारी जाऊँ राम, कन्हैया पे तन मन |
अन्य जानकारी | जुथिका रॉय महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू की पसन्दीदा गायिकाओं में से एक थीं। |
जुथिका रॉय (अंग्रेज़ी: Juthika Roy, जन्म: 20 अप्रैल, 1920 – मृत्यु: 5 फ़रवरी, 2014) भारतीय भजन (भक्ति संगीत) गायिका थीं। उन्होंने अपने चार दशक लम्बे कैरियर में 200 से अधिक हिन्दी और 100 से अधिक बंगाली गानों को अपनी आवाज़ दी। उन्होंने हिन्दी फ़िल्मों हेतु हिन्दी भक्ति संगीत भी रिकॉर्ड करवाये। जुथिका रॉय को 1972 में भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से पुरस्कृत किया गया था। जुथिका रॉय महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू की पसन्दीदा गायिकाओं में से एक थीं।
जीवन परिचय
जुथिका रॉय का जन्म संयुक्त बंगाल के हावड़ा ज़िले के आमता नामक स्थान पर 20 अप्रैल, 1920 में हुआ। जुथिका रॉय ने छोटी आयु में ही गाना आरम्भ कर दिया था। जुथिका रॉय को ख्याति 1930 में मिली। इन्हें मीरा के मधुर भजनों के लिए 'आधुनिक मीरा' के नाम से भी जाना जाता था। वे जब 12 साल की थीं तब उन्होंने अपना पहला एलबम 1932 में रिकॉर्ड किया था। जुथिका रॉय की प्रतिभा को कवि काजी नज़रुल इस्लाम और बंगाली संगीत निर्देशक कमल दास गुप्ता ने पहचाना था और ये दोनों ही उनके संरक्षक रहे। 1940 व 1950 में ये देश के चुनिंदा गायिकाओं में से एक थीं। इनके भजन 'घुंघट के पट खोल' और 'पग घंघरू बांध मीरा नाची' काफ़ी लोकप्रिय थे। उन्हें 1972 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। 15 अगस्त 1947 को भारत के पहले स्वतंत्रता दिवस पर नेहरूजी ने झंडा फहराने के साथ उन्हें रेडियो पर लगातार गाने की विनती की थी। उन्हें नेहरू जी ने कहा था कि वे जब तक लाल क़िले पहुंचे और तिरंगा झंडा फहराएं तब तक वे गाती रहें। यहीं नहीं गांधीजी जब पुणे की जेल में थे तब उनके गाने हर दिन सुनते थे। वे हर सुबह प्रार्थना सभा की शुरूआत उनके ही गाने बजाकर करते थे। जुथिका रॉय ने दो बंगाली फिल्म 'धुली' और 'रतनदीप' में अपनी मधुर आवाज़ भी दी है।
प्रसिद्ध गीत
- घुंघट के पट खोल
- कन्हैया पे तन मन
- पग घुंघुरू बांध मीरा नाची
- तोरे अंगसे अंग मिलाके कन्हाई
- मैं राम नाम की चुड़ियाँ पहेनु
- मैं तो वारी जाऊँ राम
निधन
भजन गायिका जुथिका रॉय का कोलकाता में 5 फ़रवरी, 2014 को निधन हो गया। वह वर्ष 93 की थीं। उन्हें उम्र से संबंधित बीमारियों से ग्रसित होने के कारण जनवरी 2014 में रामकृष्ण मिशन सेवा प्रतिष्ठान में भर्ती कराया गया था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
- गांधी, नेहरू की पसंदीदा गायिका जुथिका रॉय का निधन
- भजन गायिका जुथिका राय का कोलकाता में निधन
- Mahatma Gandhi's favourite singer Juthika Roy dies
- Gandhi and Nehru’s Favorite Bhajan Singer Juthika Roy is dead
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