सुमन कल्याणपुर को पुरस्कार: Difference between revisions

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'''सुमन कल्याणपुर''' [[हिन्दी सिनेमा]] की मशहूर गायिका है। पुराने जमाने के उनके गीत आज भी काफी मशहूर है। इनमें ना तुम जानों न हम, दिल गम से जल रहा है, मेरे संग गा, मेरे महबूब न जा, जो हम पे गुजरती है, बहना ने भाई की कलाई में, आदि कई गाने काफी हिट हो चुके हैं।<ref >{{cite web |url=https://www.bhaskar.com/news/MH-PUN-singer-suman-kalyanpur-commited-on-song-4672150-NOR.html|title=मुझसे छीना गया था 'ए मेरे वतन के लोगों' : सुमन कल्याणपुर |accessmonthday=[[21 जून]] |accessyear=[[2017]] |last= |first= |authorlink=|format= |publisher=bhaskar.com|language=[[हिन्दी]]}}</ref>  
'''सुमन कल्याणपुर''' [[हिन्दी सिनेमा]] की मशहूर गायिका है। पुराने जमाने के उनके गीत आज भी काफ़ी मशहूर है। इनमें ना तुम जानों न हम, दिल गम से जल रहा है, मेरे संग गा, मेरे महबूब न जा, जो हम पे गुजरती है, बहना ने भाई की कलाई में, आदि कई गाने काफ़ी हिट हो चुके हैं।<ref >{{cite web |url=https://www.bhaskar.com/news/MH-PUN-singer-suman-kalyanpur-commited-on-song-4672150-NOR.html|title=मुझसे छीना गया था 'ए मेरे वतन के लोगों' : सुमन कल्याणपुर |accessmonthday=[[21 जून]] |accessyear=[[2017]] |last= |first= |authorlink=|format= |publisher=bhaskar.com|language=[[हिन्दी]]}}</ref>  
==पुरस्कार==
==पुरस्कार==
सुमन करीब 28 साल के अपने करियर में सुमन कल्याणपुर ने न सिर्फ पार्श्वगायन के क्षेत्र में अपना एक सम्मानजनक स्थान बनाया बल्कि रसरंग (नासिक) का 'फाल्के पुरस्कार' ([[1961]]), सुर सिंगार संसद का 'मियां तानसेन पुरस्कार' ([[1965]] और [[1970]]), 'महाराष्ट्र राय फ़िल्म पुरस्कार' ([[1965]] और [[1966]]), 'गुजरात राय फ़िल्म पुरस्कार' ([[1970]] से [[1973]] तक लगातार) जैसे करीब एक दर्जन पुरस्कार भी हासिल किए।
सुमन करीब 28 साल के अपने करियर में सुमन कल्याणपुर ने न सिर्फ पार्श्वगायन के क्षेत्र में अपना एक सम्मानजनक स्थान बनाया बल्कि रसरंग (नासिक) का 'फाल्के पुरस्कार' ([[1961]]), सुर सिंगार संसद का 'मियां तानसेन पुरस्कार' ([[1965]] और [[1970]]), 'महाराष्ट्र राय फ़िल्म पुरस्कार' ([[1965]] और [[1966]]), 'गुजरात राय फ़िल्म पुरस्कार' ([[1970]] से [[1973]] तक लगातार) जैसे करीब एक दर्जन पुरस्कार भी हासिल किए।

Revision as of 11:01, 5 July 2017

सुमन कल्याणपुर विषय सूची
सुमन कल्याणपुर को पुरस्कार
पूरा नाम सुमन कल्याणपुर
जन्म 28 जनवरी, 1937
जन्म भूमि ढाका, बंगाल (आज़ादी से पूर्व)
अभिभावक पिता- शंकर राव हेमाडी
पति/पत्नी रामानंद कल्याणपुर
कर्म भूमि मुम्बई
कर्म-क्षेत्र गायन
विषय भारतीय शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत, भजन, गज़ल
पुरस्कार-उपाधि दादा साहब फाल्के पुरस्कार, 1961

पद्म भूषण, 2023
मियां तानसेन पुरस्कार, 1965 और 1970
लता मंगेशकर पुरस्कार, 2009

प्रसिद्धि पार्श्वगायिका
नागरिकता भारतीय
मुख्य गीत इक जुर्म करके हमने चाहा था मुस्कुराना, परबतों के पेड़ों पर, ये मौसम रंगीन समां, आजकल तेरे मेरे प्यार के चर्चे हर जुबान पर
सक्रिय वर्ष 19541988
अन्य जानकारी करीब 28 साल के अपने करियर में सुमन कल्याणपुर ने पार्श्वगायन के क्षेत्र में अपना एक सम्मानजनक स्थान बनाया।
अद्यतन‎

सुमन कल्याणपुर हिन्दी सिनेमा की मशहूर गायिका है। पुराने जमाने के उनके गीत आज भी काफ़ी मशहूर है। इनमें ना तुम जानों न हम, दिल गम से जल रहा है, मेरे संग गा, मेरे महबूब न जा, जो हम पे गुजरती है, बहना ने भाई की कलाई में, आदि कई गाने काफ़ी हिट हो चुके हैं।[1]

पुरस्कार

सुमन करीब 28 साल के अपने करियर में सुमन कल्याणपुर ने न सिर्फ पार्श्वगायन के क्षेत्र में अपना एक सम्मानजनक स्थान बनाया बल्कि रसरंग (नासिक) का 'फाल्के पुरस्कार' (1961), सुर सिंगार संसद का 'मियां तानसेन पुरस्कार' (1965 और 1970), 'महाराष्ट्र राय फ़िल्म पुरस्कार' (1965 और 1966), 'गुजरात राय फ़िल्म पुरस्कार' (1970 से 1973 तक लगातार) जैसे करीब एक दर्जन पुरस्कार भी हासिल किए। करीब 5 साल पहले सुमन के पति का निधन हुआ था और अब वो खार (पश्चिम) में ही रोड नंबर 12 पर अपनी शादीशुदा बेटी चारू अग्नि के साथ रहती हैं। इस दौरान वो साल 2010 में एक-दो सम्मान समारोहों में जरूर नजर आयीं जब महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें 'लता मंगेशकर पुरस्कार - 2009' से सम्मानित किया। लेकिन बाहरी लोगों से उनका सम्पर्क अब लगभग खत्म हो चुका है। यहाँ तक कि अब उन्हें किसी से फोन पर बात करना भी मंजूर नहीं है।[2]

सुमन के लोकप्रिय गीत

  • इतने बड़े जहां में अपना भी कोई होता (डार्क स्ट्रीट)
  • इक जुर्म करके हमने चाहा था मुस्कुराना (शमा)
  • जूही की कली मेरी लाड़ली (दिल एक मंदिर)
  • अपने पिया की मैं तो बनी रे जोगनियां (कण कण में भगवान)
  • तुझे प्यार करते हैं करते रहेंगे (अप्रैल फूल)
  • हाले-दिल उनको सुनाना था (फरियाद)
  • परबतों के पेड़ों पर (शगुन)
  • ना-ना करते प्यार तुम्ही से कर बैठे (जब-जब फूल खिले)
  • ठहरिये होश में आ लूं, तो चले जाइएगा (मोहब्बत इसको कहते हैं)
  • ये मौसम रंगीन समां (मॉडर्न गर्ल)
  • बहना ने भाई की कलाई से प्यार बांधा है (रेशम की डोरी)[3]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

सुमन कल्याणपुर विषय सूची

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