सीय बिलोकि धीरता भागी: Difference between revisions

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वे परम वैराग्यवान कहलाते थे; पर सीता को देखकर उनका भी धीरज भाग गया। राजा ने जानकी को हृदय से लगा लिया। (प्रेम के प्रभाव से) ज्ञान की महान मर्यादा मिट गई (ज्ञान का बाँध टूट गया)।
वे परम वैराग्यवान कहलाते थे; पर सीता को देखकर उनका भी धीरज भाग गया। राजा ने जानकी को हृदय से लगा लिया। (प्रेम के प्रभाव से) ज्ञान की महान् मर्यादा मिट गई (ज्ञान का बाँध टूट गया)।


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Latest revision as of 11:02, 1 August 2017

सीय बिलोकि धीरता भागी
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
सभी (7) काण्ड क्रमश: बालकाण्ड‎, अयोध्या काण्ड‎, अरण्यकाण्ड, किष्किंधा काण्ड‎, सुंदरकाण्ड, लंकाकाण्ड‎, उत्तरकाण्ड
चौपाई

सीय बिलोकि धीरता भागी। रहे कहावत परम बिरागी॥
लीन्हि रायँ उर लाइ जानकी। मिटी महामरजाद ग्यान की॥

भावार्थ-

वे परम वैराग्यवान कहलाते थे; पर सीता को देखकर उनका भी धीरज भाग गया। राजा ने जानकी को हृदय से लगा लिया। (प्रेम के प्रभाव से) ज्ञान की महान् मर्यादा मिट गई (ज्ञान का बाँध टूट गया)।


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चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

पुस्तक- श्रीरामचरितमानस (बालकाण्ड) |प्रकाशक- गीताप्रेस, गोरखपुर |संकलन- भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|पृष्ठ संख्या-169

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