श्रुतपंचमी पर्व: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replacement - " महान " to " महान् ")
 
Line 1: Line 1:
'''श्रुतपंचमी पर्व''' [[जैन धर्म]] को मानने वाले श्रद्धालुओं द्वारा प्रतिवर्ष [[ज्येष्ठ मास]] में [[शुक्ल पक्ष]] की [[पंचमी]] को मनाया जाता है। जैनियों का इस प्रकार का विश्वास है कि आचार्य धरसेन जी महाराज की प्रेरणा से मुनि [[पुष्पदंत]] महाराज एवं भूतबली महाराज ने लगभग 2000 वर्ष पूर्व [[गुजरात]] में [[गिरनार पर्वत]] की गुफाओं में ज्येष्ठ शुक्ल की पंचमी के दिन ही जैन धर्म के प्रथम ग्रन्थ 'षटखंडागम' की रचना पूर्ण की थी। यही कारण है कि वे इस ऐतिहासिक तिथि को 'श्रुतपंचमी पर्व' के रूप में मनाते हैं।
'''श्रुतपंचमी पर्व''' [[जैन धर्म]] को मानने वाले श्रद्धालुओं द्वारा प्रतिवर्ष [[ज्येष्ठ मास]] में [[शुक्ल पक्ष]] की [[पंचमी]] को मनाया जाता है। जैनियों का इस प्रकार का विश्वास है कि आचार्य धरसेन जी महाराज की प्रेरणा से मुनि [[पुष्पदंत]] महाराज एवं भूतबली महाराज ने लगभग 2000 वर्ष पूर्व [[गुजरात]] में [[गिरनार पर्वत]] की गुफाओं में ज्येष्ठ शुक्ल की पंचमी के दिन ही जैन धर्म के प्रथम ग्रन्थ 'षटखंडागम' की रचना पूर्ण की थी। यही कारण है कि वे इस ऐतिहासिक तिथि को 'श्रुतपंचमी पर्व' के रूप में मनाते हैं।
====ज्ञान का पर्व====
====ज्ञान का पर्व====
श्रुतपंचमी पर्व ज्ञान की आराधना का महान पर्व है, जो मानव समाज को वीतरागी [[संत|संतों]] की वाणी, आराधना और प्रभावना का सन्देश देता है। इस पवित्र दिन श्रद्धालुओं को श्री धवल और महाधवलादि [[ग्रंथ|ग्रंथों]] को सम्मुख रखकर श्रद्धाभक्ति से महोत्सव के साथ उनकी [[पूजा]]-अर्चना करनी चाहिए और सिद्धभक्ति का पाठ करना चाहिए। अज्ञान के अन्धकार को मिटाकर ज्ञान का [[प्रकाश]] फैलाने वाले इस महापर्व के सुअवसर पर पुराने ग्रंथों, शास्त्रों और सभी किताबों की देखभाल करनी चाहिए। उनमें जिल्द लगवानी चाहिए, शास्त्रों और ग्रंथों के भण्डार की सफाई आदि करके शास्त्रों की पूजा विनय आदि करनी चाहिए।
श्रुतपंचमी पर्व ज्ञान की आराधना का महान् पर्व है, जो मानव समाज को वीतरागी [[संत|संतों]] की वाणी, आराधना और प्रभावना का सन्देश देता है। इस पवित्र दिन श्रद्धालुओं को श्री धवल और महाधवलादि [[ग्रंथ|ग्रंथों]] को सम्मुख रखकर श्रद्धाभक्ति से महोत्सव के साथ उनकी [[पूजा]]-अर्चना करनी चाहिए और सिद्धभक्ति का पाठ करना चाहिए। अज्ञान के अन्धकार को मिटाकर ज्ञान का [[प्रकाश]] फैलाने वाले इस महापर्व के सुअवसर पर पुराने ग्रंथों, शास्त्रों और सभी किताबों की देखभाल करनी चाहिए। उनमें जिल्द लगवानी चाहिए, शास्त्रों और ग्रंथों के भण्डार की सफाई आदि करके शास्त्रों की पूजा विनय आदि करनी चाहिए।
====शोभायात्रा====
====शोभायात्रा====
इस पर्व के शुभ अवसर पर [[जैन]] धर्मावलम्बी गाजे-बाजे के साथ शास्त्रों और ग्रंथों की शोभायात्रा निकालते हैं। इस दौरान शोभायात्रा का स्वागत भक्तजन [[पुष्प|पुष्पों]] की [[वर्षा]] करके करते हैं। इस यात्रा में बड़ी संख्यां में [[जैन धर्म]] में आस्था रखने वाले लोग सम्मिलित होते हैं और भाग लेते हैं।
इस पर्व के शुभ अवसर पर [[जैन]] धर्मावलम्बी गाजे-बाजे के साथ शास्त्रों और ग्रंथों की शोभायात्रा निकालते हैं। इस दौरान शोभायात्रा का स्वागत भक्तजन [[पुष्प|पुष्पों]] की [[वर्षा]] करके करते हैं। इस यात्रा में बड़ी संख्यां में [[जैन धर्म]] में आस्था रखने वाले लोग सम्मिलित होते हैं और भाग लेते हैं।

Latest revision as of 11:02, 1 August 2017

श्रुतपंचमी पर्व जैन धर्म को मानने वाले श्रद्धालुओं द्वारा प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। जैनियों का इस प्रकार का विश्वास है कि आचार्य धरसेन जी महाराज की प्रेरणा से मुनि पुष्पदंत महाराज एवं भूतबली महाराज ने लगभग 2000 वर्ष पूर्व गुजरात में गिरनार पर्वत की गुफाओं में ज्येष्ठ शुक्ल की पंचमी के दिन ही जैन धर्म के प्रथम ग्रन्थ 'षटखंडागम' की रचना पूर्ण की थी। यही कारण है कि वे इस ऐतिहासिक तिथि को 'श्रुतपंचमी पर्व' के रूप में मनाते हैं।

ज्ञान का पर्व

श्रुतपंचमी पर्व ज्ञान की आराधना का महान् पर्व है, जो मानव समाज को वीतरागी संतों की वाणी, आराधना और प्रभावना का सन्देश देता है। इस पवित्र दिन श्रद्धालुओं को श्री धवल और महाधवलादि ग्रंथों को सम्मुख रखकर श्रद्धाभक्ति से महोत्सव के साथ उनकी पूजा-अर्चना करनी चाहिए और सिद्धभक्ति का पाठ करना चाहिए। अज्ञान के अन्धकार को मिटाकर ज्ञान का प्रकाश फैलाने वाले इस महापर्व के सुअवसर पर पुराने ग्रंथों, शास्त्रों और सभी किताबों की देखभाल करनी चाहिए। उनमें जिल्द लगवानी चाहिए, शास्त्रों और ग्रंथों के भण्डार की सफाई आदि करके शास्त्रों की पूजा विनय आदि करनी चाहिए।

शोभायात्रा

इस पर्व के शुभ अवसर पर जैन धर्मावलम्बी गाजे-बाजे के साथ शास्त्रों और ग्रंथों की शोभायात्रा निकालते हैं। इस दौरान शोभायात्रा का स्वागत भक्तजन पुष्पों की वर्षा करके करते हैं। इस यात्रा में बड़ी संख्यां में जैन धर्म में आस्था रखने वाले लोग सम्मिलित होते हैं और भाग लेते हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख