संशय सर्प ग्रसन उरगाद: Difference between revisions

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जो संशयरूपी सर्प को ग्रसने के लिए गरुड़ हैं, अत्यंत कठोर तर्क से उत्पन्न होनेवाले विषाद का नाश करनेवाले हैं, आवागमन को मिटानेवाले और देवताओं के समूह को आनंद देनेवाले हैं, वे कृपा के समूह राम सदा हमारी रक्षा करें।॥5॥
जो संशयरूपी सर्प को ग्रसने के लिए गरुड़ हैं, अत्यंत कठोर तर्क से उत्पन्न होने वाले विषाद का नाश करनेवाले हैं, आवागमन को मिटानेवाले और देवताओं के समूह को आनंद देनेवाले हैं, वे कृपा के समूह राम सदा हमारी रक्षा करें।॥5॥





Latest revision as of 13:46, 6 September 2017

संशय सर्प ग्रसन उरगाद
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली चौपाई और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड अरण्यकाण्ड
चौपाई

संशय सर्प ग्रसन उरगादः। शमन सुकर्कश तर्क विषादः॥
भव भंजन रंजन सुर यूथः। त्रातु सदा नो कृपा वरूथः॥5॥

भावार्थ

जो संशयरूपी सर्प को ग्रसने के लिए गरुड़ हैं, अत्यंत कठोर तर्क से उत्पन्न होने वाले विषाद का नाश करनेवाले हैं, आवागमन को मिटानेवाले और देवताओं के समूह को आनंद देनेवाले हैं, वे कृपा के समूह राम सदा हमारी रक्षा करें।॥5॥



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चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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