काम कोह मद मोह नसावन: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
सपना वर्मा (talk | contribs) ('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - "करनेवाला" to "करने वाला") |
||
Line 37: | Line 37: | ||
{{poemclose}} | {{poemclose}} | ||
;भावार्थ- | ;भावार्थ- | ||
यह जल काम, क्रोध, मद और मोह का नाश | यह जल काम, क्रोध, मद और मोह का नाश करने वाला और निर्मल ज्ञान और वैराग्य को बढ़ानेवाला है। इसमें आदरपूर्वक स्नान करने से और इसे पीने से हृदय में रहनेवाले सब पाप-ताप मिट जाते हैं। | ||
{{लेख क्रम4| पिछला=राम सुप्रेमहि पोषत पानी |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=जिन्ह एहिं बारि न मानस धोए}} | {{लेख क्रम4| पिछला=राम सुप्रेमहि पोषत पानी |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=जिन्ह एहिं बारि न मानस धोए}} |
Latest revision as of 13:52, 6 September 2017
काम कोह मद मोह नसावन
| |
कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
भाषा | अवधी भाषा |
शैली | सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | बालकाण्ड |
काम कोह मद मोह नसावन। बिमल बिबेक बिराग बढ़ावन॥ |
- भावार्थ-
यह जल काम, क्रोध, मद और मोह का नाश करने वाला और निर्मल ज्ञान और वैराग्य को बढ़ानेवाला है। इसमें आदरपूर्वक स्नान करने से और इसे पीने से हृदय में रहनेवाले सब पाप-ताप मिट जाते हैं।
left|30px|link=राम सुप्रेमहि पोषत पानी|पीछे जाएँ | काम कोह मद मोह नसावन | right|30px|link=जिन्ह एहिं बारि न मानस धोए|आगे जाएँ |
चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख