पुनि फिरि राम निकट सो आई: Difference between revisions
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Latest revision as of 07:46, 7 November 2017
पुनि फिरि राम निकट सो आई
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कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | सोरठा, चौपाई और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | अरण्यकाण्ड |
पुनि फिरि राम निकट सो आई। प्रभु लछिमन पहिं बहुरि पठाई॥ |
- भावार्थ
वह लौटकर फिर श्री रामजी के पास आई, प्रभु ने उसे फिर लक्ष्मणजी के पास भेज दिया। लक्ष्मणजी ने कहा- तुम्हें वही वरेगा, जो लज्जा को तृण तोड़कर (अर्थात् प्रतिज्ञा करके) त्याग देगा (अर्थात् जो निपट निर्लज्ज होगा)॥9॥
left|30px|link=सेवक सुख चह मान भिखारी|पीछे जाएँ | पुनि फिरि राम निकट सो आई | right|30px|link=तब खिसिआनि राम पहिं गई|आगे जाएँ |
चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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