कीरति भनिति भूति भलि सोई: Difference between revisions

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कीर्ति, कविता और सम्पत्ति वही उत्तम है, जो गंगाजी की तरह सबका हित करने वाली हो। श्री रामचन्द्रजी की कीर्ति तो बड़ी सुंदर (सबका अनन्त कल्याण करने वाली ही) है, परन्तु मेरी कविता भद्दी है। यह असामंजस्य है (अर्थात इन दोनों का मेल नहीं मिलता), इसी की मुझे चिन्ता है॥5॥  
कीर्ति, कविता और सम्पत्ति वही उत्तम है, जो गंगाजी की तरह सबका हित करने वाली हो। श्री रामचन्द्रजी की कीर्ति तो बड़ी सुंदर (सबका अनन्त कल्याण करने वाली ही) है, परन्तु मेरी कविता भद्दी है। यह असामंजस्य है (अर्थात् इन दोनों का मेल नहीं मिलता), इसी की मुझे चिन्ता है॥5॥  


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Latest revision as of 07:59, 7 November 2017

कीरति भनिति भूति भलि सोई
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
चौपाई

कीरति भनिति भूति भलि सोई। सुरसरि सम सब कहँ हित होई॥
राम सुकीरति भनिति भदेसा। असमंजस अस मोहि अँदेसा॥5॥

भावार्थ-

कीर्ति, कविता और सम्पत्ति वही उत्तम है, जो गंगाजी की तरह सबका हित करने वाली हो। श्री रामचन्द्रजी की कीर्ति तो बड़ी सुंदर (सबका अनन्त कल्याण करने वाली ही) है, परन्तु मेरी कविता भद्दी है। यह असामंजस्य है (अर्थात् इन दोनों का मेल नहीं मिलता), इसी की मुझे चिन्ता है॥5॥


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चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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