इक्षुमती नदी: Difference between revisions
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Revision as of 13:20, 14 September 2010
इक्षुमती नदी के उद्गम का उल्लेख कई जगह आता है जो इस प्रकार है:-
- वाल्मीकि रामायण में इस नदी का उल्लेख अयोध्या के दूतों की केकय देश की यात्रा के प्रसंग में हुआ है।[1] इस नदी को दूतों ने जैसा कि संदर्भ से सूचित होता है- सतलज और बियास के बीच के प्रदेश में पार किया था। इसका ठीक-ठीक अभिज्ञान अनिश्चित है। संभव है यह सरस्वती नदी ही हो क्योंकि उपर्युक्त उद्धरण में इसे 'पितृ पैतामही पुण्या' कहा है। चक्षुष्मती भी इक्षुमती का ही एक नाम जान पड़ता है।[2]
- पाणिनि ने, अष्टाध्यायी[3] में सांकाश्य नगर की स्थिति इस नदी के तट पर बताई है। महाभारत, भीष्मपर्व में इसे इक्षुमालिनी कहा गया है। यह वर्तमान ईखन है जो संकिसा, फ़र्रुख़ाबाद ज़िला, उत्तर प्रदेश के निकट बहती है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 'आभिकालं तत: प्राप्य तेजोऽभिभवनाच्चयुता:, पितृपैतामहीं पुण्यां तेरुरिक्षुमतीं नदीम् 2,68,11
- ↑ देखिए वराह पुराण 85; मत्स्य पुराण 113
- ↑ अष्टाध्यायी 4,2,80