अधीन सिंह अखाड़ा, वाराणसी: Difference between revisions
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*ईश्वरगंगी का पोखरा बनारस प्रसिद्ध है। यहाँ [[लाल रंग]] की दीवारों से घिरा लम्बा चौड़ा अखाड़ा अपने अतीत के गौरव को गाता दीख पड़ता है। इस अखाड़े को अजीत सिंह ने स्थापित किया था। उनके शौर्य के बारे में कहा जाता है कि इनके पास पत्थर के बहुत भारी दो शेर थे, जिसे वे काँख में दबाये रोज अखाड़े में जाते, उसे नहलाते फिर घर चले जाते। यह बात लगभग दो सौ वर्षों की है। फिर शिवनन्दन, खेलावन, श्यामा दादा, लक्ष्मी, मुनीव, लालजी साहू तथा रामलाल आदि ने इसे सँवारा। | |||
*लालजी ने अखाड़े के सौन्दर्य में वृद्धि की। उन्होंने गाजीपुर के नथुनी और नवाब गढ़ के ठाकुर को दे मारा था। यहाँ [[कुश्ती]], गदा, जोड़ी मलखम तथा पैरा बल आदि की व्यवस्था है। | |||
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अखाड़ा अधीन सिंह को कई नामों से पुकारा जाता है, जैसे- 'ईश्वरगंगी अखाड़ा', 'बजरंग व्यायामशाला' आदि।
- ईश्वरगंगी का पोखरा बनारस प्रसिद्ध है। यहाँ लाल रंग की दीवारों से घिरा लम्बा चौड़ा अखाड़ा अपने अतीत के गौरव को गाता दीख पड़ता है। इस अखाड़े को अजीत सिंह ने स्थापित किया था। उनके शौर्य के बारे में कहा जाता है कि इनके पास पत्थर के बहुत भारी दो शेर थे, जिसे वे काँख में दबाये रोज अखाड़े में जाते, उसे नहलाते फिर घर चले जाते। यह बात लगभग दो सौ वर्षों की है। फिर शिवनन्दन, खेलावन, श्यामा दादा, लक्ष्मी, मुनीव, लालजी साहू तथा रामलाल आदि ने इसे सँवारा।
- लालजी ने अखाड़े के सौन्दर्य में वृद्धि की। उन्होंने गाजीपुर के नथुनी और नवाब गढ़ के ठाकुर को दे मारा था। यहाँ कुश्ती, गदा, जोड़ी मलखम तथा पैरा बल आदि की व्यवस्था है।
- होरी, टुल्लू, भोला, विश्वनाथ, जीऊत, काशी, गोपाल, शोभा तथा दूधनाथ आदि उल्लेखनीय नाम हैं।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अखाड़े/व्यायामशालाएँ (हिंदी) काशीकथा। अभिगमन तिथि: 19 जनवरी, 2014।
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