सीता केरि करेहु रखवारी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 08:23, 24 May 2016 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replacement - "चौपाई छंद" to "चौपाई, छंद")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
सीता केरि करेहु रखवारी
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड अरण्यकाण्ड
चौपाई

सीता केरि करेहु रखवारी। बुधि बिबेक बल समय बिचारी॥
प्रभुहि बिलोकि चला मृग भाजी। धाए रामु सरासन साजी॥॥5॥

भावार्थ

तुम बुद्धि और विवेक के द्वारा बल और समय का विचार करके सीता की रखवाली करना। प्रभु को देखकर मृग भाग चला। राम भी धनुष चढ़ाकर उसके पीछे दौड़े।॥5॥



left|30px|link=मृग बिलोकि कटि परिकर बाँधा|पीछे जाएँ सीता केरि करेहु रखवारी right|30px|link=निगम नेति सिव ध्यान न पावा|आगे जाएँ


चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः