केशलुंचन

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 05:32, 13 January 2020 by आशा चौधरी (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

केशलुंचन जैन मुनियों द्वारा पालन किए जानेवाले 28 मूल गुणों में एक है। केशलुंचन अर्थात्‌ केशों का लोंच करने[1] को तप कहा गया है।

बौद्ध साधुओं को भी उस्तरा आदि रखने का निषेध है, इसलिये कम से कम दो और अधिक से अधिक चार महीने में वे अपने सिर, दाढ़ी और मूछों के बाल अपने हाथ से उखाड़ते हैं, जिसे पंचमुष्टिलोंच कहा जाता है। केशलोंच का बड़ा माहात्म्य माना गया है और इस अवसर पर भक्तों का मेला लग जाता है।

केशलोंच और ब्रह्मचर्यपालन को निग्रंथ धर्म में अत्यंत कठिन बताया है, तथा इनका पालन करने में मुनियों को अत्यंत सावधान रहने का उपदेश है।[2]



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. नोंचने
  2. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 3 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 124 |

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः