का सुनाइ बिधि काह सुनावा

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 03:47, 2 June 2016 by कविता भाटिया (talk | contribs) ('{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख



|चित्र का नाम=रामचरितमानस |लेखक= |कवि= गोस्वामी तुलसीदास |मूल_शीर्षक = रामचरितमानस |मुख्य पात्र = राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |कथानक = |अनुवादक = |संपादक = |प्रकाशक = गीता प्रेस गोरखपुर |प्रकाशन_तिथि = |भाषा = |देश = |विषय = |शैली =चौपाई, सोरठा, छन्द और दोहा |मुखपृष्ठ_रचना = |विधा = |प्रकार = |पृष्ठ = |ISBN = |भाग = |शीर्षक 1=संबंधित लेख |पाठ 1=दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |शीर्षक 2=काण्ड |पाठ 2=अयोध्या काण्ड |भाग = |विशेष = |टिप्पणियाँ = }}

चौपाई

का सुनाइ बिधि काह सुनावा। का देखाइ चह काह देखावा॥
एक कहहिं भल भूप न कीन्हा। बरु बिचारि नहिं कुमतिहि दीन्हा॥1॥

भावार्थ

विधाता ने क्या सुनाकर क्या सुना दिया और क्या दिखाकर अब वह क्या दिखाना चाहता है! एक कहते हैं कि राजा ने अच्छा नहीं किया, दुर्बुद्धि कैकेयी को विचारकर वर नहीं दिया॥1॥


left|30px|link=काह न पावकु जारि|पीछे जाएँ का सुनाइ बिधि काह सुनावा right|30px|link=जो हठि भयउ सकल दुख भाज|आगे जाएँ


चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।




पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः