तिन्ह सहस्र महुँ सबसुख खानी

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तिन्ह सहस्र महुँ सबसुख खानी
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली सोरठा, चौपाई, छन्द और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड उत्तरकाण्ड
चौपाई

तिन्ह सहस्र महुँ सबसुख खानी। दुर्लभ ब्रह्म लीन बिग्यानी॥
धर्मसील बिरक्त अरु ग्यानी। जीवनमुक्त ब्रह्मपर प्रानी॥3॥

भावार्थ

हजारों जीवन मुक्तों में भी सब सुखों की खान, ब्रह्म में लीन विज्ञानवान्‌ पुरुष और भी दुर्लभ है। धर्मात्मा, वैराग्यवान्‌, ज्ञानी, जीवन मुक्त और ब्रह्मलीन-॥3॥


left|30px|link=कोटि बिरक्त मध्य श्रुति कहई|पीछे जाएँ तिन्ह सहस्र महुँ सबसुख खानी right|30px|link=सत ते सो दुर्लभ सुरराया|आगे जाएँ

चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।


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