हिमा दास
thumb|250px|हिमा दास हिमा दास (अंग्रेज़ी: Hima Das, जन्म- 9 जनवरी, 2000, असम) भारतीय धावक हैं। वह आईएएएफ वर्ल्ड अंडर-20 एथलेटिक्स चैम्पियनशिप की 400 मीटर दौड़ स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं। हिमा दास ने 400 मीटर की दौड़ स्पर्धा में 51.46 सेकेंड का समय निकालकर स्वर्ण पदक जीता था। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदार्पण करने के दो साल के अंदर ही हिमा दास ने कई पदक जीते और कुछ ऐतिहासिक पलों को भी देखा, जिससे उन्होंने भारतीय फैंस के दिलों में जगह बना ली। उन्होंने 19 दिन में 5 स्वर्ण हासिल कर इतिहास रचा। देश के प्रधानमंत्री से लेकर कई सेलिब्रिटी ने उन्हें उनकी इस अपार सफलता पर बधाई दी थी।
परिचय
हिमा दास का जन्म 9 जनवरी 2000 को असम के नगांव जिले के धिंग गांव में हुआ था। पिता रंजीत दास के पास मात्र दो बीघा जमीन है। इसी जमीन पर खेती करके वह परिवार के सदस्यों की आजीविका चलाते हैं। हिमा दास किसी भी जीत के समय अपने परिवार के संघर्षों को याद करती हैं। वे हिंदुस्तान की ऐसी एथलीट हैं जिन्होंने मात्र अट्ठारह वर्ष की आयु में ही आईएएफ अंडर 20 में एथलेटिक्स में महिलाओं की 400 मीटर दौड़ में शीर्ष स्थान प्राप्त किया और स्वर्ण पदक अपने नाम किया। भारत के लिए इस मानक पर स्वर्ण पदक जीतने वाली वे अकेली महिला खिलाड़ी हैं। हिमा दास मेहनती खिलाड़ी हैं, जिन्होंने कम समय में ही अपार उपलब्धियां प्राप्त कर ली हैं।[1]
खेत में खेलती थीं फुटबॉल
left|thumb|250px|हिमा दास हिमा दास लड़कों के साथ अपने पिता के खेत में फ़ुटबॉल खेला करती थीं। जवाहर नवोदय विद्यालय के पीटी टीचर ने उन्हें रेसर बनने की सलाह दी। पैसों की कमी की वजह से उनके पास अच्छे जूते भी नहीं थे। स्थानीय कोच निपुन दास की सलाह मानकर जब उन्होंने जिला स्तर की 100 और 200 मीटर की स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता तो कोच भी हैरान रह गए। निपुन दास हिमा दास को लेकर गुवाहाटी आ गए।
हैरान रह गए थे कोच
हिमा दास ने जिला स्तर की स्पर्धा में सस्ते जूते पहनकर दौड़ लगाई और गोल्ड मेडल हासिल किया। यह देखकर निपुन दास हैरान रह गए। उनकी गति अद्भुत थी। निपुन दास ने उनको धावक बनाने की ठान ली और गुवाहाटी लेकर गए। कोच ने उनका खर्च भी वहन किया। शुरू में उन्हें 200 मीटर की रेस के लिए तैयार किया गया। बाद में वह 400 मीटर की रेस भी लगाने लगीं।
अंतरराष्ट्रीय कॅरियर
हिमा दास ने 2 जुलाई को यूरोप में, 7 जुलाई को कुंटो ऐथलेटिक्स मीट में, 13 जुलाई को चेक गणराज्य में और 17 जुलाई को टाबोर ग्रां प्री में अलग-अलग स्पर्धाओं में स्वर्ण जीता। कॉमनवेल्थ गेम्स में हिमा ने वर्ल्ड ऐथलेटिक्स चैंपियनशिप ट्रैक कॉम्पिटिशन में हिस्सा लिया और जीत दर्ज की। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया के कॉमनवेल्थ गेम्स में भी वह शामिल हुईं, लेकिन छठे स्थान पर रहीं। हिमा बैंकॉक में एशियाई यूथ चैंपियनशिप में शामिल हुई थीं और 200 मीटर रेस में सातवें स्थान पर रही थीं।[1]
हिमा दास पहली ऐसी भारतीय महिला बन गई हैं जिसने वर्ल्ड ऐथलेटिक्स चैंपियनशिप ट्रैक में गोल्ड मेडल जीता है। हिमा ने 400 मीटर की रेस 51.46 सेकंड में खत्म करके यह रेकॉर्ड अपने नाम किया। हिमा दास की सफलताओं को देखते हुए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने भी ट्वीट करके उन्हें बधाई दी थी। इसके अलावा मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने कहा, 'तुम्हारी जीत की भूख युवाओं के लिए प्रेरणा है।'
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 हिमा दास की स्ट्रगल स्टोरी (हिंदी) navbharattimes.indiatimes.com। अभिगमन तिथि: 28 अक्टूबर, 2020।