नरी सेमरी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 10:38, 30 September 2011 by गोविन्द राम (talk | contribs) ('{{Menu}} इसका शुद्ध एवं पूर्व नाम किन्नरी '''श्यामरी''' है। [[...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

इसका शुद्ध एवं पूर्व नाम किन्नरी श्यामरी है। छाता से चार मील दक्षिण-पूर्व में सेमरी गाँव स्थित हैं। सेमरी के पास ही दक्षिण दिशा में एक मील दूर नरी गाँव है। सेमरी गाँव में यूथेश्वरी श्यामला सखी का निवास था।

प्रसंग-

किसी समय मानिनी श्री राधिका का मान भंग नहीं हो रहा था । ललिता, विशाखा आदि सखियों ने भी बहुत चेष्टाएँ कीं, किन्तु मान और भी अधिक बढ़ता गया । अन्त में सखियों के परामर्श से श्री कृष्ण श्यामरी सखी बनकर वीणा बजाते हुए यहाँ आये। राधिका श्यामरी सखी का अद्भुत रूप तथा वीणा की स्वर लहरियों पर उतराव और चढ़ाव के साथ मूर्छना आदि रागों से अलंकृत संगीत को सुनकर ठगी-सी रह गई । उन्होंने पूछा-सखि ! तुम्हारा नाम क्या है ? और तुम्हारा निवास-स्थान कहाँ हैं । ? सखी बने हुए कृष्ण ने उत्तर दिया- मेरा नाम श्यामरी है । मैं स्वर्ग की किन्नरी हूँ । राधिका श्यामरी किन्नरी का वीणा वाद्य एवचं सुललित संगीत सुनकर अत्यन्त विह्वल हो गईं और अपने गले से रत्नों का हार श्यामरी किन्नरी के गले अर्पण करने के लिए प्रस्तुत हुई, किन्तु श्यामरी किन्नरी ने हाथ जोड़कर उनके श्री चरणों में निवदेन किया कि आप कृपा कर अपना मान रूपी रत्न मुझे प्रदान करें । इतना सुनते ही राधिकाजी समझ गई कि ये मेरे प्रियतम ही मुझसे मान रत्न मांग रहे हैं । फिर तो प्रसन्न होकर उनसे मिलीं । सखियाँ भी उनका परस्पर मिलन कराकर अत्यन्त प्रसन्न हुई । इस मधुर लीला के कारण ही इस स्थान का नाम किन्नरी से नरी तथा श्यामरी से सेमरी हो गया है ।

  • वृन्दावनलीलमृत के अनुसार हरि शब्द के अपभ्रंश क रूप में इस गाँव का नाम नरी हुआ है ।

दूसरा प्रसंग- जिस समय कृष्ण-बलदेव ब्रज छोड़कर मथुरा के लिए प्रस्थान करने लगे, अक्रूर ने उन दोनों को रथ पर चढ़ा कर बड़ी शीघ्रता से मथुरा की ओर रथ को हाँक दिया । गोपियाँ खड़ी हो गई और एकटक से रथ की ओर देखने लगी । किन्तु धीर-धीरे रथ आँखों से ओझल हो गया, धीरे-धीरे उड़ती हुई धूल भी शान्त हो गई । तब वे हा हरि ! हा हरि! कहती हुई पछाड़ खाकर धरती पर गिर पड़ी । इस लीला की स्मृति की रक्षा के लिए महाराज वज्रनाभ ने वहाँ जो गाँव बैठाया, वह गाँव ब्रज में हरि नाम से प्रसिद्ध हुआ । धीरे-धीरे हरि शब्द का ही अपभ्रंश नरी हो गया । नरी गाँव में किशोरी कुण्ड, सक्ङर्षण कुण्ड और श्री बलदेव जी का दर्शन है।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. नरीसेमरी (हिन्दी) (पी.एच.पी) ब्रजडिस्कवरी। अभिगमन तिथि: 30 सितंबर, 2011।

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः