तुंगकारण्य

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तुंगकारण्य अथवा 'तुंगारण्य' बुंदेलखंड के वेत्रवती (बेतवा) और जंबुल (जामनेर) के संगम का परवर्ती प्रदेश है। इसका क्षेत्रफल लगभग 35 वर्ग मील है। झांसी से यह स्थल लगभग दस-बारह मील दूर है।

'तुंगारण्यमासाद्य ब्रह्मचारी जितेन्द्रिय:, वेदानध्यापयत् तत्र ऋषि: सारस्वत: पुरा। तदरण्यं प्रविष्टस्य तुंगकं राजसत्तम पापं प्रणश्यत्यखिलं स्त्रियो वा पुरुषस्य वा'[1]

  • इसके पश्चात् ही वनपर्व[2] में कालंजर (कालिंजर) का उल्लेख है।
  • पद्मपुराण[3] में भी कालंजर की स्थिति तुंगकारण्य में बताई गई है।
  • हिन्दी के प्रसिद्ध कवि केशवदास ने ओरछा तथा बेतवा की स्थिति तुंगारण्य में कही है-

'नदी बेतवै तीर जंह तीरथ तुंगारण्य, नगर ओड़छो बहुबसै धरनीतल में धन्य। केशव तुंगारण्य में नदी बेवते तीर, नगर ओड़छे बहु बसै पंडित मंडित भीर।'


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 405 |

  1. वनपर्व 85, 46-53.
  2. वनपर्व 85, 56
  3. पद्मपुराण, आदि. 39, 52-53

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