रामकुण्ड अखाड़ा, वाराणसी

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रामकुण्ड अखाड़ा स्वयं में एक इतिहास है। जग्गू सेठ, पंडाजी, महादेव पाण्डेय यहीं के उपज थे। बाद में उन्होंने अलग अखाड़े खोल लिए। इस अखाड़े में कुश्ती कला के प्राचीन गुरू पन्ना लाल के शिष्य रामसूरत रहे। पन्ना लाल के बारे में कहा क्या है कि उस्तादी के लिए बनारस में तत्कालीन-तीन नाम प्रसिद्ध थे-भीम सिंह, जिलानी, खलीफा, पन्नालाल। रामसूरत ही ऐसा पहलवान था जो दोनों अंगों-दाएँ बाएँ से लड़ा करता था। इस अखाड़े के पुराने नामों में संकटमोचन के महन्त स्वामीनाथ, अक्षयवर सिंह, अमरनाथ, बबुआ सिंह का नाम यहाँ के संचालक ने गिनाया, जो अपने समय के भीम थे। फिर यहाँ खटिक और वाहिद जैसे पहलवान निकले जो चुस्ती, फुर्ती के लिए विख्यात थे। इस अखाड़े की एक महत्वपूर्ण बात यह है कि यह अखाड़ा भगत सिंह, आजाद आदि का क्रान्तिकारी स्थल भी रहा है। श्रीलालधर त्रिपाठी ‘प्रवासी’ ने भी यहाँ खूब कुश्तियाँ लड़ी। लक्सा के सुग्रीव को तो ओलम्पिक में चयन किया गया।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अखाड़े/व्यायामशालाएँ (हिंदी) काशीकथा। अभिगमन तिथि: 19 जनवरी, 2014।

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