शैलोदा नदी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 09:12, 26 August 2014 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs) (''''शैलोदा नदी''' का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में उत्तरक...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

शैलोदा नदी का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में उत्तरकुरू के संबंध में है-

'तं तु देशमतिक्रम्य शैलोदानाम निम्नगा, उभयोस्तीरयोस्तस्याः कीचका नाम वेणवः।'[1]

  • महाभारत, सभापर्व 28, दाक्षिणात्य पाठ में भी इसका वर्णन है-

'मेरुमंदरयोर्मध्ये शैलोदामभितो नदीम्, ये ते कीचकवेणूनां छायां रम्यामुपासते। खशाञ्झखाश्चनद्योतान् प्रघसान्दीर्घवेणिकान्, पशुपांश्च कुलिंदांश्च तंगणान परतंगणान्।'

  • शैलोदा नदी मेरु और मंदराचल पर्वतों के मध्य में स्थित कही गई है और उसके दोनों तटों पर 'कीचक' नाम के बांसों के वन बताए गये हैं।[2]
  • वाल्मीकि ने भी इसके तट पर कीचक वृक्षों का वर्णन किया है। 'कीचक' चीनी भाषा का शब्द कहा जाता है।
  • इस नदी के तट पर खश, प्रघस, कुलिंद, तंगण, परतंगण आदि लोगों का निवास बताया जाता है। ये लोग युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में ‘पिपीलक सुवर्ण’ लाए थे-

‘तद् वै पिपीलकं नाम उद्धृतं यत् पिपीलिकैः जातरूपं द्रोणमेयमहार्षुः पुजशो नृपाः।[3]

  • पिपीलक सुवर्ण के बारे में किंवदंती का उल्लेख मेगस्थनीज़[4] ने भी किया है। यह किंवदंती प्राचीन व्यापारिक जगत में तिब्बती सुवर्ण के बारे में प्रचलित थी।
  • वासुदेव शरण अग्रवाल ने शैलोदा नदी का अभिज्ञान वर्तमान खोतन नदी से किया है। इस नदी के तट पर आज भी 'यशब' या 'अश्मसार' की खानें हैं, जिसे शायद प्राचीन काल में सुवर्ण कहा जाता था। खोतन नदी पश्चिमी चीन तथा रूस की सीमा के निकट बहती है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. वाल्मीकि रामायण, किष्किन्धाकाण्ड 43,37
  2. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 911 |
  3. महाभारत, सभापर्व 52, 4
  4. चंद्रगुप्त मौर्य की सभा के यवन दूत

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः