वेत्रवती नदी

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वेत्रवती यमुना की सहायक बेतवा नदी का प्राचीन नाम है। यह नदी पंचमढ़ी (मध्य प्रदेश) के समीप धूपगढ़ नामक पहाड़ी (पारियात्र शैलमाला) से निकलती है तथा मध्य प्रदेश में बहती हुई यमुना में दक्षिण की ओर से आकर मिल जाती है।[1]

'नदी वेत्रवतीं चैव कृष्णवेणां च निम्नगाम्, इरावती वितस्तां च पयोप्णीं देविकामपि।'

'तेषां दिक्षुप्रथितविदिशालक्षणां राजधानीम्, गत्वा सद्यः फलमति महत् कामुकत्वस्यलब्धवा तीरोपान्तस्तनितसुभगं पास्यसि स्वादुयुक्तम् सभ्रूभंगं मुखमिव पयो वेत्रवत्याश्चलोर्मिः।'

'वेत्रवत्यासरितापरिगत विदिशाभिधाननगरी राजधान्यासीत।'

'नदी बेतवै तीर जॅह तीरथ तुंगारन्य, नगर ओड़छो बहुबसै धरनी तल में धन्य।' 'केशव तुंगारन्य में नदी बेतवैतीर, नगर ओड़छे बहुबसै पंडित मंडित भीर’; ओड़छेतीर तरंगिन बेतवै ताहितरै नर केशव को है। अर्जुनबाहुप्रबाहुप्रबोधित रेवाज्यों राजन की रज मोहै, जोतिजगै जमुना सी लगै जगलाल विलोचन पाप बियो है। सूरसुता सुभसंगम तुंगतरंग तरंगित गंग सी सोहै।'

इन पद्यों में केशवदास ने बेतवा को तुंगारण्य में ओड़छा के निकट बहने वाली नदी कहा है तथा 'सूरसुता' अथवा यमुना से उसके संगम का वर्णन किया है। केशव के अनुसार बेतवा का तरना दुर्गम था। इस नदी के तट पर बेत के पौधों की बहुलता के कारण ही इस नदी का नाम वेत्रवती पड़ा होगा।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 874 |
  2. भीष्मपर्व 9,16
  3. पूर्वमेघ, 26

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